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कल्पना के बढ़ते सियासी कद से बसंत सोरेन नाराज,झामुमो मे पावर पॉलिटिक्स शुरू


कल्पना के बढ़ते सियासी कद से बसंत सोरेन नाराज,झामुमो मे पावर पॉलिटिक्स शुरू
रांची: पूर्व मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन की गिरफ्तारी के बाद से ही झामुमो में पावर पॉलिटिक्स का खेल शुरू हो गया था। जेल जाने से पहले हेमंत सोरेन चाहते थे की कल्पना सोरेन उनकी विरासत को संभाले परंतु अपनो के विरोध के कारण ऐसा संभव नहीं होता देख आनन फानन में चंपाई सोरेन को मुख्यमंत्री की जिम्मेवारी सौप दी । हालांकि हेमंत सोरेन के जेल जाने के बाद बसंत सोरेन और कल्पना सोरेन के बीच रिश्ते मजबूत होने की कई तस्वीर सामने आयी है।  परंतु इसपर विराम तब लग गया जब प्रभात तारा मैदान में आयोजित उलगुलान न्याय महारैली में बसंत सोरेन मंच पर नजर नहीं आए। दरअसल सीएम हेमंत के छोटे भाई बसंत सोरेन एक दिन पहले तक जिस उलगुलान न्याय महारैली को सफल बनाने के लिए एक-एक बारीकियों पर नजर बनाते दिख रहे थें, राज्य के कोने-कोने से आने झामुमो कार्यकर्ताओँ से संवाद कायम कर संभावित भीड़ का आंकड़ा ले रहे थें, अचानक से उस मंच से उनकी दूरी ने सियासी गलियारों में कई सवाल खड़ा कर दिया है। इस गैरमौजूदगी को सियासी चश्में से देखने-समझने की कोशिश की जा रही है।  उलगुलान महारैली के मंच पर मौजूद नेताओं को भी तब तक इस बात की भनक नहीं थी कि उनके साथ बसंत सोरेन मौजूद नहीं है, इसकी जानकारी तो तब सामने आयी, जब झामुमो प्रवक्ता और नेता विनोद पांडेय ने इस बात का आग्रह किया कि बसंत सोरेन अपनी भाभी कल्पना सोरेन के साथ झारखंड की सियासत का भीष्म पितामह और आदिवासी समाज का सबसे बड़ा चेहरा दिशोम गुरु को मंच पर लाने का काम करेंगे। लेकिन जैसे ही यह घोषणा सामने आयी, इस बात का भेद खुला कि देश के इन नामचीन नेताओं के साथ, इस मंच पर बसंत सोरेन मौजूदगी ही नहीं है। आखिरकार कल्पना सोरेन दिशोम गुरु को मंच पर लेकर आयी और यही से यह सियासी मुद्दा बनता नजर आया। बसंत सोरेन भले ही पूर्व सीएम हेमंत की गिरफ्तारी के बाद पार्टी को मजबूत करने की हर संभव कोशिश में है, लेकिन इसके साथ ही झामुमो के अंदर कुछ चेहरों की सक्रियता से उनकी नाराजगी भी है।

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