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बसपा ने हमीरपुर-महोबा संसदीय सीट से निर्दोष दीक्षित को बनाया उम्मीदवार



महोबा,। बहुजन समाज पार्टी (बसपा) ने बुंदेलखंड की हमीरपुर-महोबा लोकसभा सीट पर पत्ते खोलते हुए ब्राह्मण प्रत्याशी को उम्मीदवार घोषित किया है। बसपा ने ब्राह्मण चेहरा उतारने से संसदीय सीट पर त्रिकोणीय मुकाबला हो गया है। निर्दोष दीक्षित को टिकट मिलने से उनके समर्थकों में खुशी की लहर दौड़ गई है।

उत्तर प्रदेश में बसपा ने लोकसभा चुनाव को लेकर प्रत्याशियों की सातवीं सूची जारी करते हुए के बुंदेलखंड के महोबा-हमीरपुर तिंदवारी लोकसभा सीट पर ब्राह्मण चेहरा निर्दोष दीक्षित को प्रत्याशी बनाकर मुकाबला त्रिकोणीय कर दिया है। यहां पांचवें चरण में 20 मई को मतदान होना है, जिसके लिए 26 अप्रैल से नामांकन शुरू होने हैं। इस संसदीय सीट पर भारतीय जनता पार्टी ने सबसे पहले और फिर इंडिया (आईएनडीआईए) गठबंधन ने प्रत्याशी की घोषणा कर दी थी।

रसायन शास्त्र से एमएससी डिग्री धारक हैं बसपा प्रत्याशी

पंडित निर्दोष दीक्षित का जन्म महोबा जनपद के पनवाड़ी विकासखंड के गांव नटर्रा में हुआ। पिता का नाम डॉ एमआर दीक्षित और मां पुष्पा दीक्षित है। तीन भाई और एक बहन हैं। शिक्षा की बात करें तो इन्होंने रसायन शास्त्र से एमएससी और बीएड किया हुआ है। पिछले दस वर्षों से सक्रिय होकर राजनीति कर रहे हैं। वर्तमान में जनपद मुख्यालय और पनवाड़ी में अपना निवास में परिवार के साथ रहते हैं।

2022 विधानसभा चुनाव में मिली थी हार

छात्र जीवन से राजनीति की शुरुआत करने वाले निर्दोष दीक्षित 2014 से राजनीति में सक्रिय हुए और 2015 में कांग्रेस प्रदेश सचिव बनाए गए। 2022 के विधानसभा चुनाव में जिले की चरखारी विधानसभा से कांग्रेस पार्टी ने उम्मीदवार बनाया था। जहां पड़े कुल मतों दो लाख 23 हजार 78 में सिर्फ 7 हजार 187 मत मिले थे। चरखारी विधानसभा से भाजपा प्रत्याशी बृजभूषण राजपूत की जीत हुई थी और दूसरे नंबर पर सपा और तीसरे नंबर पर बसपा एवं चौथे नंबर पर कांग्रेस पार्टी रही थी।

ब्राह्मण उम्मीदवार से गड़बड़ाया चुनावी गणित

बसपा द्वारा ब्राह्मण चेहरा पर दांव लगाने से हमीरपुर-महोबा संसदीय सीट पर मुकाबला रोचक हो गया है। ब्राह्मण चेहरा को उम्मीदवार बनाए जाने से ब्राह्मण वर्ग के लोगों में खुशी देखने को मिल रही है। कांग्रेस पार्टी छोड़ हाथी की सवारी कर रहे निर्दोष दीक्षित के चुनावी समर में कूदने से राजनीतिक गलियारों में चर्चाओं का दौर तेज हो गया है। बसपा के ब्राह्मण चेहरे से भाजपा और इंडिया गठबंधन का चुनावी गणित गड़बड़ा सकता है।

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