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कांग्रेस नेता जयराम रमेश ने बिहार के लिए प्रधानमंत्री से पूछे सवाल


कांग्रेस नेता जयराम रमेश ने बिहार के लिए प्रधानमंत्री से पूछे सवाल 
नई दिल्ली । कांग्रेस नेता जयराम रमेश ने आज प्रधानमंत्री के बिहार दौरे पर राज्य के विकास के लिए किये गये उनके वादों की याद दिलाई है।
श्री रमेश ने प्रधानमंत्री से पूछा कि केंद्र में 10 साल और बिहार में लगभग 15 साल सत्ता में रहने के बाद भी भाजपा सरकार ने राज्य को विशेष राज्य का दर्ज़ा क्यों नहीं दिया? केंद्र की अपनी बहुआयामी ग़रीबी सूचकांक (एमपीआई) रिपोर्ट के अनुसार, बिहार भारत का सबसे ग़रीब राज्य है। राज्य की 52% आबादी की ठीक से स्वास्थ्य और शिक्षा सुविधा तक पहुंच नहीं है। 2013 में, रघुराम राजन समिति ने राज्य के आर्थिक पिछड़ेपन को ध्यान में रखते हुए फंड को हस्तांतरित करने के लिए एक नई पद्धति की सिफ़ारिश की थी जो एससीएस के बजाय बहु-आयामी सूचकांक पर आधारित है। 2014 में जब मोदी जी प्रधानमंत्री पद के उम्मीदवार थे तब उन्होंने कई बार बिहार को विशेष राज्य का दर्ज़ा देने का वादा किया था। दस साल के बाद भी मोदी सरकार किस चीज़ का इंतज़ार कर रही है? बिहार की जनता को प्रधानमंत्री क्यों भूल गए?

उन्होंने पूछा कि हर मानसून में, कोसी नदी बाढ़ से तबाही लाती है। आसपास के क्षेत्र पूरी तरह से तबाह हो जाते हैं। कोसी की बाढ़ से लाखों लोग प्रभावित होते हैं - हर साल फ़सल बर्बाद होती है और परिवारों को महीनों के लिए विस्थापित होना पड़ता है। डबल इंजन सरकार तटबंधों के निर्माण और पुनर्निर्माण में लगी रहती है, ताकि अगली बाढ़ के दौरान वे फ़िर से बह जाएं। कोई भी ठोस कदम नहीं उठाया जाता है। स्थानीय निवासियों ने इसकी तुलना "सोने के अंडे देने वाली मुर्गी" से की है।  लोग ऐसा मानते हैं कि भाजपा के पसंदीदा ठेकेदारों को हर बार तटबंध के पुनर्निर्माण के लिए कॉन्ट्रैक्ट मिलते हैं। भाजपा सरकार इस समस्या के समाधान के लिए कोई प्रयास किए बिना, बैराज गेट खोलने के लिए नेपाल को दोषी ठहराना पसंद करती है। मोदी सरकार लाखों बाढ़ पीड़ितों की दुर्दशा को नजरअंदाज क्यों कर रही है? क्या मिथिलांचल और कोसी में लोगों की दुर्दशा भाजपा के लिए लाभ कमाने का एक और अवसर बनकर रह गई है?

श्री रमेश ने यह भी पूछा कि आपने 18 अगस्त, 2015 को पूर्णिया में एक हवाई अड्डे का वादा किया था। छह साल बीत चुके हैं, इस बीच नीतीश कुमार ने तीन बार यू-टर्न भी ले लिया, फिर भी उनकी सरकार ने अभी तक वादा पूरा नहीं किया है। मुजफ्फरपुर में, मोदी सरकार ने 2023 की दिवाली तक पूरी तरह से चालू हवाई अड्डे का वादा किया था। लेकिन आज, हवाई अड्डे पर एक भी फ्लाइट नहीं उतरती है। भाजपा और जदयू के वर्षों के खोखले वादों के बाद भागलपुर में बड़ी मुश्किल से प्रशासन ने हवाई अड्डे की सिर्फ़ प्रक्रिया शुरू की है। ऐसी सरकार जो बुनियादी ढांचे के विकास पर ध्यान केंद्रित करने के बड़े-बड़े दावे करती है, उसने बिहार की उपेक्षा क्यों की? पिछले दस वर्षों से इन तीन हवाईअड्डे प्रोजेक्ट्स की उपेक्षा क्यों की गई?

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