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उज्जैन : एम एड के विद्यार्थी प्राइवेट की तर्ज पर कर रहे खानापूर्ति


उज्जैन । शिक्षकों को बीएड करवाने के लिए जो शिक्षक कक्षा में पढ़ाते हैं,उनके पास एमएड की डिग्री होती है। वे अपने विद्यार्थियों से अपेक्षा करते हैं कि रोजाना बीएड कॉलेज आएं और पढ़ें, लेकिन यदि उनके बारे में खोजबीन की जाए तो चौंकाने वाले तथ्य सामने आएंगे। ऐसे अनेक शिक्षक मिलेंगे, जो स्वयं रेग्युलर एमएड की डिग्री प्रायवेट की तर्ज पर ले रहे हैं। उनकी उपस्थिति तो लगती है, लेकिन कागज पर। कॉलेज समय में वे कहीं अन्य जगह नौकरी करते मिलेंंगे।

ऐसा हो रहा है विक्रम विवि से संबंद्ध शिक्षा महाविद्यालयों में। कतिपय बीएड कॉलेजों में पढ़ाने वाले ऐसे शिक्षक हैं जो विश्वविद्यालय/यूजीसी के मापदण्डों का पालन नहीं कर रहे हैं। न उनके पास अनुभव के प्रमाण पत्र हैं और न ही उनके पास एमएड की डिग्री है। बावजूद इसके वे बीएड कॉलेजों में शिक्षक के रूप में सेवा दे रहे हैं। यह आरोप है कि इनमें कई तो ऐसे हैं जो एमएड कर रहे हैं और साथ-साथ शिक्षा महाविद्यालयों में बीएड करनेवाले शिक्षकों को पढ़ा भी रहे हैं, वह भी नियमित रूप से। वे अपेक्षा भी करते हैं कि बीएड करनेवाले शिक्षार्थी शिक्षा महाविद्यालय में रेग्युलर आएं। इसके लिए कड़े अनुशासन को भी लागू किया गया है, लेकिन वे जहां से डिग्री ले रहे हैं,वहां नहीं जाते रेग्युलर। कथित रूप से उनकी उपस्थिति दिखा दी जाती है।

ऐसे ही शिक्षा महाविद्यालयों में पढऩे वाले बीएड के शिक्षार्थियों का आरोप है कि उन्हे जो पढ़ा रहे हैं, उनमें ऐसे भी हैं जो इस समय एमएड कर रहे हैं, वह भी रेग्युलर, लेकिन एमएड की कक्षाएं ज्वाइन करने के लिए उनके कॉलेज में वे कब जाते हैं,शोध का विषय है, क्योंकि कॉलेज के समय में तो वे नौकरी कर रहे हैं। शिक्षार्थियों का आरोप है कि ऐसे एमएड पढ़ रहे कतिपयों ने अपना एडमिशनकागज पर रेग्युलर करवाया है लेकिन प्रायवेट विद्यार्थी की तर्ज पर कक्षाएं ज्वाइन करने नहीं जाते हैं, जबकि एमएड की डिग्री बगैर रेग्युलर रहे पूरी नहीं हो सकती। ऐसे में भावी शिक्षकों को तैयार करने का काम वे कैसे करते होंगे, इस बात की जांच भी होना चाहिए।

यहां नहीं जाते, क्योंकि रेग्युलर होना पड़ता है ?

शहर में शासकीय शिक्षा महाविद्यालय है। यहां एमएड की 10 सीटें शासन ने उनके लिए रखी है, जो शासकीय शिक्षक नहीं है लेकिन एमएड करना चाहते हैं। शासकीय शिक्षा महाविद्यालय में पूरी तरह से रेग्युलर रहकर पढऩा होता है दो साल तक। इसलिए यहां कोई एडमिशन नहीं लेता। इस साल भी 10 सीटें यहां रिक्त ही हैं।

जांच करवाएंगे : कुलपति

इस संबंध में चर्चा करने पर विक्रम विवि के कुलपति प्रो. अखिलेश कुमार पाण्डेय ने कहाकि एमएड की डिग्री ऐसी है जो बगैर रेग्युलर हो ही नहीं सकती। उनके पास भी शिकायतें आती रहती है कि कतिपय विद्यार्थी एमएड में प्रवेश लेने के बाद प्रायवेट की तर्ज पर जाते ही नहीं है। उनकी उपस्थिति कथित रूप से एडजस्ट कर ली जाती है, जबकि यह डिग्री रेग्युलर ही ली जा सकती है। एनसीईटी भी इसकी मानीटरिंग करती है। वे इस बात की जांच करवाएंगे।

जांच सही होने पर करेंगे कार्रवाई:लड्ढा

इस संबंध में एमएड करवानेवाले महाराज शिक्षा महाविद्यालय के संचालक वी.के.लड्डा से चर्चा की गई तो उन्होंने कहाकि वे इस समय बाहर हैं। उनके महाविद्यालय में यदि कोई विद्यार्थी रेग्युलर न रहते हुए प्रायवेट जैसा पढ़ रहा है और उसी दौरान कहीं ओर काम कर रहा है तो वे भी इसकी जांच करवाएंगे। जांच सही पाई जाने पर कार्रवाई करेंगे।

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