नई दिल्ली। उच्चतम न्यायालय ने अरावली मामले में अपने ही फैसले पर रोक लगा दी है। चीफ जस्टिस सूर्यकांत की अध्यक्षता वाली पीठ ने केंद्र सरकार और संबंधित राज्यों को नोटिस जारी किया है। मामले की अगली सुनवाई 21 जनवरी को होगी। अरावली पहाड़ियां दिल्ली से लेकर हरियाणा, राजस्थान और गुजरात तक में फैली हैं।
तत्कालीन चीफ जस्टिस जस्टिस गवई की अध्यक्षता वाली पीठ ने अरावली की 100 मीटर वाली परिभाषा तय की थी। उस फैसले के खिलाफ देशव्यापी विरोध हुआ। उच्चतम न्यायालय ने विरोध प्रदर्शन के बाद इस मामले पर स्वत: संज्ञान लिया। न्यायालय ने कहा कि उच्चाधिकार विशेषज्ञ कमेटी का गठन होगा, जो मामले पर दोबारा विचार करेगी। इस मामले पर स्पष्टीकरण की जरुरत है।
सुनवाई के दौरान केंद्र की ओर से पेश सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने कहा कि इस आदेश के बाद केंद्र की भूमिका को लेकर काफी भ्रम है। इसे लेकर विशेषज्ञों की एक कमेटी बनाई गई थी। विशेषज्ञों को कमेटी को कोर्ट ने स्वीकार कर लिया था। तब चीफ जस्टिस ने कहा कि इसे लेकर स्वतंत्र विशेषज्ञों की राय जानना जरुरी है।
अरावली मामले में सुप्रीम कोर्ट ने अपने ही फैसले पर रोक लगाई, केंद्र व संबंधित राज्याें काे नाेटिस











