नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि अगर कोई देश राष्ट्रीय सुरक्षा के लिए स्पाइवेयर का इस्तेमाल करता है, तो इसमें गलत क्या है । सवाल यह है कि किसके खिलाफ इस्तेमाल हो रहा है। एक आम नागरिक के निजता के अधिकार का सम्मान किया जाना चाहिए।
सुप्रीम कोर्ट ने पेगासस जांच से जुड़ी रिपोर्ट को सार्वजनिक करने की मांग पर सुनवाई के दौरान कहा कि पूरी रिपोर्ट सार्वजनिक करने का सवाल ही नहीं उठता है। हम इस रिपोर्ट को सड़क पर चर्चा का दस्तावेज नहीं बना सकते हैं। हम पेगासस से प्रभावित लोगों की मांग पर विचार कर सकते हैं। मामले की अगली सुनवाई 30 जुलाई को होगी।
सुप्रीम कोर्ट ने 27 अक्टूबर, 2021 में इस मामले पर विशेषज्ञों की एक टीम का गठन किया था। इस टीम की अध्यक्षता सुप्रीम कोर्ट के पूर्व जज जस्टिस रविंद्रन कर रहे थे। इस कमेटी ने अपनी रिपोर्ट भी दाखिल की थी। विशेषज्ञ कमेटी ने कहा था कि उसकी रिपोर्ट को प्रकाशित न किया जाए। कमेटी को 29 फोन दिए गए थे, जिसमें पांच में मालवेयर का अंदेशा था। हालांकि, यह तय नहीं हो पाया कि यह पेगासस ही है। कमेटी ने तीन हिस्सों में अपनी रिपोर्ट सौंपी थी। इनमें से दो रिपोर्ट टेक्निकल कमेटी की है, जबकि एक रिपोर्ट जस्टिस रविंद्रन की थी। रिपोर्ट में कुछ गोपनीय बातें हैं। कुछ निजी सूचनाएं भी हैं। सुप्रीम कोर्ट ने कहा था कि टेक्निकल कमेटी की रिपोर्ट को सार्वजनिक नहीं किया जाएगा।
जस्टिस रविंद्रन की रिपोर्ट में आम नागरिकों पर साइबर हमले और गैरकानूनी तरीके से निगरानी करने के खिलाफ नए कानून बनाने की अनुशंसा की गई है। कोर्ट ने इस जांच कमेटी की मदद के लिए तीन सदस्यीय तकनीकी कमेटी का गठन किया था। तकनीकी कमेटी में नेशनल फोरेंसिक साइंस यूनिवर्सिटी, गांधीनगर के डीन प्रो. नवीन कुमार चौधरी, अमृता विश्व विद्यापीठम, अमृतापुरम केरल के प्रो. प्रभाहरन पी और आईआईटी बांबे के प्रो. अश्विन अनिल गुमाश्ते शामिल हैं।
पेगासस जांच से जुड़ी पूरी रिपोर्ट सार्वजनिक करने का सवाल ही नहीं : सुप्रीम कोर्ट
