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वक्फ़ संशोधन से विपक्ष के अंदर भय का माहौल : दिलीप पटेल


प्रयागराज। भाजपा महानगर ने वक्फ सुधार जनजागरण अभियान को लेकर सिविल लाइन स्थित जिला कार्यालय में कार्यशाला आयोजित की। मुख्य अतिथि भाजपा काशी क्षेत्र अध्यक्ष दिलीप पटेल ने वक्फ संशोधन बिल 2025 के प्रमुख बिंदुओं पर प्रकाश डाला।

उन्होंने कहा कि 1185 में पहली बार वक्फ का विचार आया। मुगल काल में उसका दायरा बढ़ा। वक्फ के पीछे उद्देश्य था आम गरीब मुसलमानों का कल्याण, लेकिन कांग्रेस व विपक्ष के लोग अल्पसंख्यकों में भय पैदा करके उन्हें वोट बैंक के रूप में इस्तेमाल करते आए। अल्पसंख्यक शिक्षा व नौकरी में दलितों से भी पीछे हैं। कांग्रेस के राष्ट्रीय अध्यक्ष व ओवैसी जैसे नेताओं ने वक्फ सम्पत्ति पर कब्जा किया है। इस संशोधन को लेकर विपक्ष के अंदर डर का माहौल है। वक्फ के खिलाफ मुसलमान वर्ग के 5 हजार मुकदमें वक्फ ट्रिब्यूनल में चल रहे हैं। वक्फ भारत के लिए सबसे बड़ा घोटाला बन चुका है। मॉल, होटल और व्यवसायिक इमारतें वक्फ़ जमीन पर फल फूल रही हैं। लेकिन गरीब मुसलमानों को अब भी कुछ नहीं मिल रहा है।

उन्होंने आगे कहा कि धार्मिक नेताओं व राजनेताओं के एक बड़े गुट ने वक्फ सम्पत्तियों को लूटकर आम मुसलमानों को बुनियादी सुविधाओं से वंचित किया। 31 फीसदी मुसलमान आज भी गरीबी रेखा से नीचे जीवन यापन कर रहे हैं। लाखों करोड़ों की वक्फ सम्पत्तियों द्वारा उनके विकास के लिए कुछ नहीं किया गया। 2006 की सच्चर कमेटी की रिपोर्ट के अनुसार 80 प्रतिशत वक्फ सम्पत्तियां भ्रष्टाचार और अतिक्रमण का शिकार हो चुकी हैं। वक्फ बोर्ड खुद मुस्लिम स्कूलों पर हमला कर रहे हैं। मुस्लिम परिवार अपनी पुश्तैनी जमीन खो रहे हैं। बतौर उदाहरण चेन्नई में 100 साल पुरानी पारिवारिक सम्पत्तियों को अचानक वक्फ घोषित कर दिया गया। गरीब मुस्लिम छात्रों की छात्रवृत्ति लूटी गई। मस्जिदें खस्ताहाल वक्फ अधिकारी मालामाल हैं। मुस्लिम कल्याण फंड से करोड़ों की लूट हुई। लगभग 70 प्रतिशत वक्फ सम्पत्तियों पर अवैध कब्जा हो चुका है।

दिलीप पटेल ने कहा कि 2018 की केंद्रीय वक्फ परिषद की रिपोर्ट के अनुसार वक्फ बोर्डों में कोई वित्तीय पारदर्शिता नहीं है। 2018 की केंद्रीय वक्फ परिषद रिपोर्ट के अनुसार भारत में 8 लाख एकड़ से अधिक वक्फ़ सम्पत्ति है, जिसकी अनुमानित कीमत 10 लाख करोड़ से अधिक है। यूपीए सरकार द्वारा वक्फ संशोधन अधिनयम 2013 के तहत वक्फ बोर्ड की शक्तियों को मनमाने ढंग से भूमि अधिग्रहण का अधिकार दे दिया गया। अधिनियम में पारदर्शिता की कमी और हितधारकों की चिंताओं को नजरअंदाज किया गया। कांग्रेस के नेतृत्व वाली यूपीए सरकार में वक्फ अधिनियम 1995 के तहत राज्य सरकारों पर सम्पत्ति सर्वेक्षण का वित्तीय बोझ डाला गया और वक्फ बोर्डों को असीमित अधिकार प्रदान किए गए। जिसके कारण लगातार वाद विवाद और अतिक्रमण हुए। यूपीए सरकार द्वारा पेश 2014 वक्फ सम्पत्ति विधेयक ने वक्फ बोर्डों और अतिक्रमणकारियों को असीमित शक्तियां प्रदान की।

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