नई दिल्ली। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने मंगलवार को भारत मंडपम में भारतीय मौसम विभाग (आईएमडी) के 150वें स्थापना दिवस के अवसर पर आयोजित समारोह में ‘मिशन मौसम’ का शुभारंभ किया किया। प्रधानमंत्री ने इस मौके पर आईएमडी विजन-2047 दस्तावेज और आईएमडी के 150 वर्ष पूरे होने के उपलक्ष्य में एक स्मारक सिक्का भी जारी किया।
प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि भारत एक जलवायु-स्मार्ट राष्ट्र बने, इसके लिए हमने ‘मिशन मौसम‘ लांच किया है। ‘मिशन मौसम‘ टिकाऊ भविष्य और भविष्य की तत्परता को लेकर भारत की प्रतिबद्धता का भी प्रतीक है। प्रधानमंत्री ने वैज्ञानिकों से भूकंप के लिए चेतावनी प्रणाली विकसित करने की दिशा में काम करने का आग्रह किया। उन्होंने कहा, “भूकंप के लिए चेतावनी प्रणाली विकसित करने की जरूरत है और वैज्ञानिकों तथा शोधकर्ताओं को इस दिशा में काम करना चाहिए।” उन्होंने कहा कि मौसम विज्ञान में प्रगति से देश को प्राकृतिक आपदाओं से होने वाले नुकसान को कम करने में मदद मिली है।
प्रधानमंत्री ने कहा कि आईएमडी की स्थापना 15 जनवरी, 1875 को मकर संक्रांति के त्योहार के करीब हुई थी। हम सभी भारतीय संस्कृति में मकर संक्रांति के महत्व को जानते हैं। उन्होंने कहा, “मैं गुजरात से हूं, इसलिए मकर संक्रांति मेरा पसंदीदा त्योहार था। आज, पूरे गुजरात में लोग अपनी छतों पर पतंग उड़ा रहे हैं। वे पूरे दिन पतंग उड़ाने का आनंद लेते हैं। मैं भी पतंग उड़ाने का आनंद लेता था।” उन्होंने कहा कि आज हम आईएमडी के 150 वर्ष सेलिब्रेट कर रहे हैं। ये केवल भारतीय मौसम विभाग की यात्रा नहीं है, ये हमारे भारत में आधुनिक साइंस और टेक्नोलॉजी की भी यात्रा है। आईएमडी ने न केवल करोड़ों भारतीयों की सेवा की है, बल्कि यह भारत की वैज्ञानिक यात्रा का भी प्रतीक बना है।
प्रधानमंत्री ने कहा कि आज हमने जलवायु से जुड़ी हर चुनौती के लिए देश को तैयार करने के लिए मिशन मौसम की शुरुआत की है। इसका उद्देश्य भारत को जलवायु-स्मार्ट देश में बदलना है। यह मिशन टिकाऊ भविष्य के प्रति भारत की प्रतिबद्धता और आने वाली चुनौतियों के लिए सक्रिय तत्परता को दर्शाता है। उन्होंने कहा कि मिशन मौसम का उद्देश्य अत्यधुनिक मौसम निगरानी तकनीक और प्रणालियां विकसित करके, उच्च-रिज़ॉल्यूशन वायुमंडलीय अवलोकन, अगली पीढ़ी के रडार और उपग्रहों और उच्च-प्रदर्शन वाले कंप्यूटरों को लागू करके इसे प्राप्त करना है। उन्होंने कहा कि यह मौसम और जलवायु प्रक्रियाओं की समझ को बेहतर बनाने, वायु गुणवत्ता डेटा प्रदान करने पर भी ध्यान केंद्रित करेगा जो लंबे समय में मौसम प्रबंधन और हस्तक्षेप की रणनीति बनाने में मदद करेगा।
उन्होंने कहा कि मौसम विज्ञान किसी भी देश की आपदा प्रबंधन क्षमता के लिए सबसे महत्वपूर्ण सहायता प्रदान करता है। प्राकृतिक आपदाओं के प्रभाव को न्यूनतम करने के लिए हमें मौसम विज्ञान की दक्षता को अधिकतम करने की आवश्यकता है। उन्होंने कहा कि विज्ञान में प्रगति और इसकी पूर्ण क्षमता का दोहन करने की क्षमता किसी देश की वैश्विक प्रतिष्ठा को आकार देने की आधारशिला का काम करती है।
प्रधानमंत्री ने कहा कि विज्ञान के क्षेत्र में विकास और उसकी पूरी क्षमता का उपयोग किसी भी देश की वैश्विक छवि के लिए एक बड़े आधार के रूप में काम करता है। आज, हमारी मौसम संबंधी प्रगति के कारण, हमने अपनी आपदा प्रबंधन क्षमता का निर्माण किया है और इसका लाभ पूरी दुनिया को मिल रहा है। उन्होंने कहा कि भारत किसी भी आपदा की स्थिति में अपने पड़ोसी देशों की मदद करने वाले पहले देशों में से एक है। भारत पर दुनिया का भरोसा बढ़ा है। 'विश्व बंधु' के रूप में भारत की छवि मजबूत हुई है और मैं इसका श्रेय आईएमडी के वैज्ञानिकों को देता हूं।
उन्होंने कहा कि हमारी मौसम विज्ञान संबंधी उन्नति के चलते हमारी आपदा प्रबंधन क्षमता निर्माण हुई है। इसका लाभ पूरे विश्व को मिल रहा है। आज, हमारा फ्लैश फ्लड गाइडेंस सिस्टम नेपाल, भूटान, बांग्लादेश और श्रीलंका सहित पड़ोसी देशों को महत्वपूर्ण जानकारी प्रदान करता है। प्रधानमंत्री ने कहा कि हमारे पड़ोस में कहीं कोई आपदा आती है, तो भारत सबसे पहले मदद के लिए उपस्थित होता है। इससे विश्व में भारत को लेकर भरोसा भी बढ़ा है। दुनिया में विश्व बंधु के रूप में भारत की छवि और भी मजबूत हुई है।