जगदलपुर। रेल मंत्रालय ने मेसर्स मोनार्क सर्वेयर्स एंड इंजीनियरिंग कंसल्टेंट्स लिमिटेड, पुणे की कंपनी को जगदलपुर से रावघाट 140 किलोमीटर रेल लाइन पर सर्वे के साथ अनेक निर्माण कार्य का आदेश जारी कर दिया है। वहीं बिलासपुर और विशाखापटनम रेल प्रबंधक को आदेशित किया गया है कि संबंधित कंपनी को साइट में श्रमिक, मशीनरी और अन्य उपकरण लाने की अनुमति दें।
रेल विभाग से शुक्रवार काे मिली जानकारी के अनुसार एजेंसी को उपरोक्त परियोजना के लिए इंजीनियरिंग गतिविधियाँ, स्तंभों की ढलाई और उन्हें उपयुक्त स्थानों पर स्थापित करना, भू-तकनीकी जांच, समतलीकरण कार्य, डीजीपीएस सर्वेक्षण, टोटल स्टेशन, ड्रोन लिडार सर्वेक्षण और एफएलएस के अन्य संबद्ध कार्य करने के लिए कहा गया है। बताया गया कि यह आदेश सितंबर महीने की 18 तारीख को ही जारी कर दिया गया था, किंतु बारिश के चलते इस दिशा में कार्य प्रारंभ नहीं किया गया। बारिश थमते ही अब पुणे की उक्त कंपनी को तत्काल कार्य प्रारंभ करने 17 अक्टूबर काे आदेशित किया गया है।
उल्लेखनीय है कि जगदलपुर से रावघाट के मध्य 140 किलोमीटर लंबी रेल लाइन बिछाने के लिए 11 वर्ष पहले प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने दंतेवाड़ा में एमओयू किया था, किंतु लगातार विवादों और मुआवजा प्रकरण के चलते इस रेल लाइन पर कार्य शुरू नहीं हो पाया था। अब भारतीय रेलवे ने पुणे की कंपनी को 140 किलोमीटर लंबे रेल मार्ग में आवश्यक पुल-पुलिया बनाने, रेलवे स्टेशनों का निर्माण करने, पहुंच मार्गों की व्यवस्था करने आदेशित किया है। यह भी बताते चलें कि जगदलपुर-रावघाट रेल लाइन के लिए 3500 करोड रुपये से अधिक की राशि जारी की गई है। जगदलपुर-रावघाट रेल लाइन का सपना बस्तर के लाेगाें का 7 दशक पुराना है, इस आदेश की जानकारी मिलने पर बस्तरवासियों में इसे लेकर जितनी खुशी हाेनी चहिए थी, उसकी जगह बस्तर के जनप्रतिनिधि के शिथिल प्रयास से मात्र सर्वे तक पहुंचने से इसके निर्माण में हाे रही देरी से बस्तर के विकास की रफ्तार काे कम करने की नराजगी है।
जगदलपुर-रावघाट रेल लाइन एमओयू के 11 वर्ष बाद जारी हुआ सर्वे आदेश
 
									











