5 मई को मिट्टी परीक्षण अभियान चलाया जाएगा
लखनऊ। प्रदेश के कृषि मंत्री सूर्य प्रताप शाही ने शुक्रवार को इन्दिरा गांधी प्रतिष्ठान, गोमतीनगर, लखनऊ स्थित मार्स ऑडिटोरियम में आयोजित राज्य स्तरीय खरीफ उत्पादकता गोष्ठी-2025 को मुख्य अतिथि के रूप में संबोधित किया। उन्होंने प्रदेश में खरीफ मौसम में खाद्यान्न उत्पादन को 256 लाख मैट्रिक टन से बढ़ाकर 293 लाख मैट्रिक टन करने का लक्ष्य निर्धारित किए जाने की जानकारी दी। बताया कि बदलते जलवायु की स्थिति में दलहनी व तिलहनी फसलों के माध्यम से किसान अपनी आय बढ़ा सकते हैं।
कृषि मंत्री ने किसानों को राष्ट्र निर्माण में भागीदार बताते हुए ‘जय जवान, जय किसान, जय विज्ञान, जय अनुसंधान’ का नया नारा दिया। उन्होंने कहा कि एक समय प्रदेश की जनता के भोजन हेतु पर्याप्त अनाज नहीं होता था परंतु आज कृषि अनुसंधान, तकनीक, कृषि विभाग एवं किसानों के संयुक्त प्रयासों से हम दूसरे प्रदेशों को भी अनाज उपलब्ध करा रहे हैं। उन्होंने निर्देशित किया कि सूचना प्रौद्योगिकी के माध्यम से किसानों तक नवीन तकनीक, उन्नत बीजों की प्रजातियों, कृषि यंत्रों, मृदा सुधार हेतु हरी खाद एवं जिप्सम के प्रयोग की जानकारी पहुंचाई जाए ताकि फसल उत्पादकता में वृद्धि हो सके। साथ ही बदलते जलवायु के कारण फसल की अनिश्चितता की स्थिति में प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना से किसानों को आच्छादित कराने के निर्देश दिए ताकि फसल असफल होने की दशा में कृषकों को क्षतिपूर्ति मिल सके।
कृषि मंत्री ने बताया कि आगामी 5 मई को प्रदेशभर में विशेष अभियान चलाया जाएगा, जिसमें कृषि विभाग के अधिकारी किसानों के खेतों से मिट्टी के नमूने एकत्र करेंगे। इससे खेतों की उर्वरता की जांच कर आवश्यक उर्वरक सिफारिशें दी जाएंगी, जिससे लागत में कमी व उत्पादकता में वृद्धि होगी।
सूर्य प्रताप शाही ने बताया कि धान-गेहूं की पारंपरिक फसलों के साथ दलहन, तिलहन व मोटे अनाजों की खेती को बढ़ावा दिया जा रहा है जिससे किसानों की आय में वृद्धि व पोषण सुरक्षा सुनिश्चित होगी। प्रदेशभर में आयोजित गोष्ठियों, मेलों व प्रशिक्षण कार्यक्रमों के माध्यम से किसानों को प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना, किसान सम्मान निधि, पीएम-कृषि सिंचाई योजना, प्राकृतिक खेती योजना आदि की जानकारी दी जा रही है ताकि अधिकाधिक किसान लाभान्वित हो सकें। सरकार द्वारा रासायनिक उर्वरक व कीटनाशकों के स्थान पर जैविक व प्राकृतिक विधियों को अपनाने हेतु जागरूकता अभियान भी चलाया जा रहा है। इसके तहत गोबर खाद, जीवामृत, हरी खाद व अन्य देशज तकनीकों के प्रशिक्षण दिए जा रहे हैं।
प्रदेशभर में फार्मर रजिस्ट्री पोर्टल व डिजिटल क्रॉप सर्वे प्रणाली का कार्य किया जा रहा है। वेदर स्टेशन की स्थापना की जाएगी जिससे किसानों को मौसम पूर्वानुमान, फसल स्वास्थ्य, बाजार भाव और सरकारी योजनाओं की डिजिटल जानकारी तत्काल मिल सकेगी।
कृषि राज्यमंत्री बलदेव सिंह औलख ने किसानों से आह्वान किया कि कृषि वैज्ञानिकों के द्वारा विकसित नई शोध व प्रजातियों को अपनी खेती में अपनाकर फसल उत्पादकता व आय में वृद्धि करें।
खरीफ के उत्पादन में वृद्धि हेतु रणनीति पर चर्चा करते हुए कृषि निदेशक डॉ. जितेंद्र कुमार तोमर ने बताया कि 106 लाख हेक्टेयर आच्छादन व 293 लाख मैट्रिक टन उत्पादन के लक्ष्य प्राप्त करने हेतु समय से कृषि निवेश की आपूर्ति व किसानों तक समय से पहुंचाना प्राथमिकता है। उद्यान, पशुपालन, सिंचाई व अन्य विभागों के अधिकारियों द्वारा भी खरीफ की तैयारियों पर चर्चा की गई।
कार्यक्रम में आयोजित तकनीकी सत्र में विश्वविद्यालयों व शोध संस्थानों के वैज्ञानिकों ने मूंगफली, तिल, अरहर व मक्का पर चर्चा की। नवीनतम प्रजाति, पैकेज ऑफ प्रैक्टिसेज, रोग व समाधान, कृषि यंत्र, प्रसंस्करण व मूल्य संवर्धन के तरीकों पर जानकारी दी गई।
भारतीय मक्का अनुसंधान संस्थान के वरिष्ठ वैज्ञानिक डॉ. शंकरलाल जाट ने मक्का की खेती की संभावनाएं, तीनों मौसमों में इसकी खेती व उपयोगिता की जानकारी दी तथा किसानों को अन्नदाता से ऊर्जादाता बनने की संभावनाओं से अवगत कराया। अंतरराष्ट्रीय धान अनुसंधान संस्थान केंद्र वाराणसी के वरिष्ठ वैज्ञानिक डॉ. आर.एल. मलिक ने धान की सीधी बुवाई तकनीक, खरपतवार नियंत्रण, कीट-रोग प्रबंधन व अधिकतम उत्पादन के तरीकों से कृषकों को अवगत कराया।
अंत में प्रदेश के विभिन्न जनपदों से आए किसानों ने अपने सुझाव व समस्याएं रखीं जिनके समाधान का आश्वासन प्रमुख सचिव कृषि द्वारा दिया गया। कार्यक्रम के अंत में अपर कृषि निदेशक (प्रसार) द्वारा सभी गणमान्य अतिथियों का धन्यवाद ज्ञापित किया गया।
दलहन, तिलहन और मोटे अनाजों की खेती को बढ़ावा दे रही सरकार: सूर्य प्रताप शाही
