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मुख्यमंत्री ने की मौलाना आजाद अस्पताल के डॉक्टरों से मुलाकात, पिछली सरकारों पर साधा निशाना


नई दिल्ली। मुख्यमंत्री रेखा गुप्ता ने सोमवार को मौलाना आजाद अस्पताल के डॉक्टरों से मुलाकात की। इस दौरान मुख्यमंत्री ने डॉक्टरों से संवाद करके उनकी समस्याओं को भी सुना।

मुख्यमंत्री ने मुलाकात के बाद पत्रकारों को संबोधित करते हुए कि पिछली शिक्षित सरकारों और यहां के अस्पताल प्रशासन की गैरजिम्मेदारी से हैरान है। उन्होंने कहा कि मौलाना आजाद मेडिकल कॉलेज जैसे प्रतिष्ठित संस्थान की खराब स्थिति और यहां पढ़ने वाले छात्रों की हालत देखकर बहुत दुख होता है। उन्होंने कहा कि 1966 से 1990 के बीच में बने यहां सात छात्रावास की 1200 छात्रों की क्षमता है, लेकिन लगभग 3200 छात्र रह रहे हैं। एक कमरे में आठ-आठ बेड है और अलमारी भी शेयर करनी पड़ती है, स्टडी टेबल कुर्सी जैसी कोई चीज यहां नहीं है।

मुख्यमंत्री ने कहा कि यहां के छात्रावासों में कभी मरम्मत का काम ही नहीं हुआ है। उन्होंने कहा कि हमारे मेडिकल के छात्र ऐसी विपरीत परिस्थितियों में यहां पर रह रहे हैं। यहां सुरक्षा की कोई दुरुस्त व्यवस्था नहीं है, परिसर में भारी अतिक्रमण किया गया है। पिछली सरकारों ने इस पर कोई ध्यान नहीं दिया। अतिक्रमण की वजह से छात्रों को परेशानियों का सामना करना पड़ा है। कई वारदातें भी हो चुकी है।

मुख्यमंत्री ने कहा कि छात्रावासों की मरम्मत और उनमें सुविधाओं को देने के लिए तुंरत जरूरी कदम उठाए जाएंगे। नए छात्रावासों को बनाने की संभावनाएं खोजी जाएगी, ताकि एक कमरे में दो या चार छात्रों को रहना पड़ें। छात्रों के लिए अलग अलमारी और स्टडी टेबल कुर्सी की व्यवस्था की जाएगी। दिल्ली सरकार छात्रों को सभी सुविधाएं देने की कोशिश करेगी। परिसर में हुए अतिक्रमण को जल्द हटाया जाएगा।

उल्लेखनीय है कि दिल्ली के उपराज्यपाल विनय कुमार सक्सेना, मुख्यमंत्री रेखा गुप्ता तथा स्वास्थ्य मंत्री पंकज कुमार सिंह ने 19 जून को मौलाना आजाद मेडिकल कॉलेज, लोक नायक अस्पताल, जीबी पंत अस्पताल और गुरु नानक नेत्र केंद्र परिसर की स्थिति को लेकर एक आपातकालीन समीक्षा बैठक की। बैठक में चार हजार छात्रों और डॉक्टरों के लिए आवासीय सुविधा तथा मूलभूत ढांचे के पुनर्निर्माण की विस्तृत योजना तैयार करने का निर्णय लिया गया। यह काम दिल्ली लोक निर्माण विभाग द्वारा किया जाएगा। परिसर में सुरक्षा व्यवस्था को सशक्त बनाने और आपराधिक गतिविधियों पर कठोर कार्रवाई करने के स्पष्ट निर्देश दिए गए हैं।

दिल्ली नगर निगम और शिक्षा विभाग को परिसर में संचालित अवैध स्कूलों को तुरंत हटाने और अतिक्रमणों की पहचान कर विस्तृत रिपोर्ट प्रस्तुत करने को कहा गया है। भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण को अपने अधीन संरक्षित स्मारकों पर हो रहे अवैध कब्जों के विरुद्ध सख्त कार्रवाई सुनिश्चित करने के निर्देश दिए गए हैं।

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