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कौशल विकास से जुड़ी गुणवत्तापूर्ण शिक्षा के अधिकाधिक प्रसार के लिए कार्य हो : राज्यपाल



जयपुर,। राज्यपाल कलराज मिश्र ने प्रदेश में कौशल विकास से जुड़ी गुणवत्तापूर्ण शिक्षा के अधिकाधिक प्रसार का आह्वान किया है। उन्होंने कहा कि विश्वविद्यालय को चाहिए कि वे अपने यहां कौशल विकास से जुड़े ऐसे पाठ्यक्रम निर्मित कर उनकी पढ़ाई सुनिश्चित करें जो विद्यार्थियों में मौलिक सोचने की शक्ति विकसित करने के साथ भावी जीवन के लिए उन्हें समर्थ बना सके।

राज्यपाल मिश्र शुक्रवार को राजस्थान इंटरनेशनल सेंटर में विश्वकर्मा कौशल विश्वविद्यालय के प्रथम दीक्षांत समारोह में संबोधित कर रहे थे। उन्होंने कौशल शिक्षा को देश के आर्थिक विकास का प्रमुख आधार बताते हुए कहा कि आत्मनिर्भर भारत के निर्माण के लिए विद्यार्थियों को स्थानीय हुनर में दक्ष करने के अधिकाधिक प्रयास हों। उन्होंने कहा कि कौशल आधारित शिक्षा देश में रोजगार क्षमता में तेजी से सुधार लाती है।

राज्यपाल मिश्र ने दीक्षांत समारोह के कौशल शिक्षा में स्नातक एवं स्नातकोतर उतीर्ण घोषित 590 अभ्यर्थियों को उपाधियां प्रदान की। उन्होंने इनमें 52 प्रतिशत स्थान छात्राओं के होने पर प्रसन्नता जताते हुए कहा कि बालिकाएं आगे बढ़ती है तो समाज तेजी से विकास की ओर अग्रसर होता है। उन्होंने स्वस्थ स्पर्धा से छात्र छात्राओं को "विकसित भारत" के लिए कार्य करने पर जोर दिया।

विश्वविद्यालय के विश्वकर्मा नाम की चर्चा करते हुए उन्होंने कहा कि विश्वकर्मा इस संपूर्ण सृष्टि के शिल्प शास्त्रज्ञ, शिल्पकार, कारीगर, श्रमिक और जीवन को समस्त सुविधाएं प्रदान करने वाली चीजों को गढ़ने वाले देव हैं। विश्वकर्मा शब्द का अर्थ ही है दुनिया का निर्माता। उन्होंने विश्वविद्यालय में जीवन निर्माण से जुड़े कौशल में विद्यार्थियों को दक्ष किए जाने पर जोर दिया।

राज्यपाल ने कहा कि हमारी शिक्षा केवल औपचारिक नहीं रहे बल्कि उसका संबंध विद्यार्थियों के व्यक्तित्व के निर्माण से भी हो। उन्होंने नई शिक्षा नीति के आलोक में कृत्रिम बुद्धिमता का प्रभावी और सकारात्मक उपयोग करते हुए कार्यात्मक, स्व-प्रबंधन और विशेष ज्ञान कौशल से जुड़ी शिक्षा के विशेष प्रसार का आह्वान किया।

उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की पहल पर ’आत्मनिर्भर भारत’ और ’विकसित भारत 2047’ की जो संकल्पना संजोई गई है उसकी पूर्ति भी तभी संभव है जब देश कौशल विकास में सक्षम हो। उन्होंने विश्वविद्यालय से अपेक्षा जताई कि वह भारत को श्रेष्ठतम कौशल से जुड़ा मानव संसाधन प्रदान करने का संवाहक बने।

राज्य के कौशल विकास मंत्री कर्नल राज्यवर्धन राठौड़ ने कारगिल दिवस पर देश के सैनिकों को स्मरण करते हुए शौर्य की भारत की महान परंपरा से युवाओं को प्रेरणा लेते हुए कौशल विकास में आगे बढ़ने का आह्वान किया। उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री की पहल पर देश में एक करोड़ 40 लाख युवा कौशल में दक्ष हो चुके हैं। उन्होंने कहा कि स्किल के लिए पाठ्यचर्या नहीं होती। पाट्यक्रम बुनियादी जानकारी प्रदान करता हैं पर निरंतर अभ्यास और अंतर्मन से सीखने की कला कौशल शिक्षा का बड़ा आधार है। उन्होंने विरासत को नवीनता से जोड़ने, विभिन्न में देश और राज्य की सरकार युवाओं को दक्ष करने के लिए निरंतर प्रयासरत है। केंद्र और राज्य के बजट में भी कौशल विकास के अवसर बढ़ाने पर अधिक जोर दिया गया है।

इससे पहले कुलपति प्रो. देवस्वरूप ने विश्वविद्यालय की स्थापना के उद्देश्य के साथ पाठ्यक्रमों के बारे में जानकारी देते हुए विश्वविद्यालय का प्रगति प्रतिवेदन प्रस्तुत किया। राज्यपाल ने आरंभ में संविधान की उद्देशिका का वाचन करवाया और मूल कर्तव्यों को पढ़कर सुनाया।

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