हरिद्वार। धर्मनगरी हरिद्वार में बीती रात गंगनहर को बंद कर दिया गया है। दरअसल हर साल दशहरा से दीपावली तक गंगनहर को बंद करके वार्षिक रखरखाव और मरम्मत के कार्य किए जाते हैं।
बीती रात उत्तर प्रदेश सिंचाई विभाग के अधिकारियों ने विधिवत पूजा-अर्चना कर गंगनहर को बंद कर दिया है। अब अगले 20 दिन गंगनहर बंद रहेगी और मरम्मत के कार्य किए जाएंगे, हालांकि हर की पैड़ी पर श्रद्धालुओं के स्नान के लिए कुछ पानी छोड़ा जाएगा।
दीपावली की रात को गंगनहर को फिर से खोल दिया जाएगा। उत्तर प्रदेश सिंचाई विभाग हर वर्ष गंगनहर को हरिद्वार से लेकर कानपुर तक मरम्मत के नाम पर बन्द करता है। गंगनहर बंद होने से हरिद्वार की फिजा सूनी-सूनी नजर आयीं।
गंगनहर बंद होते ही गंगा से खजाना ढूढ़ने वालों की गंगा में देर रात से ही भीड़ है। गंगा हरिद्वार में जाने कितनों का पेट पालती है। जब वह कल कल बहती है तब भी जीवनदायिनी बनी रहती है और जब नहीं बहती तब भी लोगों का पेट भरती है। देर-रात जब गंगनहर बंद हुई हजारों की संख्या में पहले से घाटों पर गंगा सूखने की प्रतीक्षा कर रहे गरीब और गंगा ढूंढने वाले लोग गंगा में टार्च कुदाल खुरपी लेकर उतर गये और गंगा से सिक्के, सोना-चांदी जेवरात आदि खोजने में जुट गए। फिर जिसकी जो किस्मत थी उसे वो मिला भी।
दरअसल वर्ष भर देश-विदेश से आनेवाले श्रृद्धालु गंगा में अपनी मन्नतों के लिए सामर्थ्य अनुसार सिक्के सोना-चांदी चढ़ाते हैं। मृतकों की आत्मा की शांति के लिए अस्थि विसर्जन में भी अस्थियों के साथ ही मृतक के आभूषण भी प्रवाहित किये जाते हैं। काल सर्प दोष और अन्य निवारण के लिए भी लोग गंगा में सोना चांदी डालते हैं। इसके लिए लोग गंगा बंदी की प्रतीक्षा करते हैं। गंगा सूखने पर मां भी किसी को निराश नहीं करती और सबकी झोलियां भर देती है।