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लोक​ निर्माण विभाग में नामुमकीन को मुमकीन करने का होगा प्रयास



लखनऊ, । उत्तर प्रदेश लोक निर्माण विभाग में बीते आठ वर्षों से मुख्यालय में बाहरी आवागमन को रोकने का प्रयास होता रहा है। विभागाध्यक्ष आये और चले गये, बाहरी लोगों की आवाजाही रोकना नामुमकीन ही रहा। अब नामुमकीन को मुमकीन करने का एक और प्रयास लोक निर्माण विभाग के प्रमुख सचिव अजय चौहान कर रहे हैं।

लोक निर्माण विभाग के मुख्यालय में कर्मचारी राजनीति करने वाले प्रमुख नेताओं की माने तो वर्ष 2016 में मुख्यालय में बाहर से आने वाले लोगों को रोकने का प्रयास हुआ था। मुख्य द्वार पर चेकिंग करायी गयी थी। एक माह के बाद पूरा अभियान धीला पड़ गया था। इसके बाद 2022 में एक बार फिर हल्ला हुआ लेकिन धरातल पर कुछ भी नहीं दिख सका।

प्रमुख सचिव लोक निर्माण विभाग अजय चौहान ने बीते दिनों एक बयान में कहा कि ठेकेदारों को सुविधा दी जायेगी और उनका मुख्यालय में आना जाना पूरी तरह से बैन किया जायेगा। ठेकेदारों को रजिस्ट्रेशन के लिए भी मुख्यालय नहीं आना होगा, उस व्यवस्था को आनलॉइन किया जायेगा। इसी तरह किसी भी काम की जानकारी आनलॉइन मिल जाया करेगी।

लोनिवि के ठेकेदार रविन्द्र प्रताप सिंह ने कहा कि जहां आवश्यकता होती है, वहां ही कोई व्यक्ति जाता आता है। लोनिवि मुख्यालय में जाने आने से कोई अधिकारी या सिस्टम नहीं रोक सकता है। मुख्यालय में तमाम प्रकार के काम होते है, जिसके लिए वि​भागीय कर्मचारी, बाबू तक से मिलना पड़ता है। अधिकारी से मिले बिना कोई काम नहीं हो पाता है।

लखनऊ में राजभवन मार्ग पर लोनिवि मुख्यालय में भीतर जाने के लिए एक बड़ा द्वार है। इसके अलावा पैदल द्वार है। ऐसे में मुख्य द्वार पर पहले से पहरेदारी रहती है। किसी अपरिचित वाहन देखते ही रोका जाता है। वहीं पार्किंग में सभी वाहनों को लगाने की अनुमति है तो वहां तक वाहनों का आवागमन नहीं रोका जा सकता है। पार्किंग से एक छोटा रास्ता मुख्यालय के भीतर चला जाता है। वाहन खड़ाकर कोई ही कोई बाहर से घूमकर अंदर जाता है।

मुख्यालय के सामने क्षेत्रीय कार्यालय के बांयी छोर पर चाय नाश्ता की दुकानों पर अभियंता, ठेकेदार और कर्मचारी आपसी बैठकें कर लेते है। चाय पीते हुए तमाम काम की बातें हो जाती है। चाय नाश्ते की दुकान की ओर हर किसी की इंट्री है। दुकानदारों से अपने ग्राहकों से अच्छे संबंध हैं और वे ग्राहक के कागजात व लिफाफे वगैरह भी रख लेते हैं। बाद में उसे सुरक्षित हाथों में दे देते हैं।

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