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संविदा स्वास्थ्य कर्मचारी दाे दिवसीय हड़ताल पर, सरकार के अड़ियल रवैए से हताश


रायगढ़,। राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन कर्मचारी एवं एड्स नियंत्रण कर्मचारी सोमवार 22 से 23 जुलाई तक अपनी दो दिवसीय ध्यानाकर्षण प्रदर्शन पर जा रहे हैं, जिससे राज्य/जिले की स्वास्थ्य व्यवस्था बुरी तरह चरमरा सकती है। जिला-अस्पताल, शहरी स्वास्थ्य केंद्र, सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र, प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र, उप-स्वास्थ्य केंद्र एवं आयुष्मान आरोग्य मंदिर पर इसका सीधा प्रभाव देखने को मिलेगा, जहां कई संस्थाएं लगभग बंद मिलेंगे। यह एनएचएम कर्मचारियों के लिए दोहरी चिंता का विषय है कि वह पहले सरकार से 27 प्रतिशत वेतन वृद्धि की मांग करें जो उन्हें एक साल पहले ही मिल जानी चाहिए थी या नियमितिकरण की, जो डबल इंजन सरकार ने, मोदी की गारंटी में कहा था।

जिले के समस्त छत्तीसगढ़ प्रदेश एनएचएम एवं एड्स नियंत्रण कर्मचारी संघ के संविदा स्वास्थ्य कर्मचारी अपनी लंबित 27 प्रतिशत वेतन-वृद्धि एवं नियमितीकरण सहित 18 बिंदु मांग के संबंध में प्रदेश स्तरीय दो दिवसीय धरना प्रदर्शन आंदोलन रायपुर में 22 एवं 23 जुलाई को किया जाना है, इस हेतु जिले रायगढ़ के मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी को आवेदन/ज्ञापन सौंपा गया है।

विधानसभा चुनाव पश्चात प्रदेश में नई सरकार गठन के बाद से राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन एवं एड्स नियंत्रण कार्यक्रम के कर्मचारियों द्वारा अपनी मांगों को लेकर मुख्यमंत्री, उपमुख्यमंत्री, विधानसभा अध्यक्ष, प्रदेश भाजपा अध्यक्ष, स्वास्थ्य मंत्री, वित्त-मंत्री सहित तमाम सांसदों एवं विधायकों से मिलकर 24 से अधिक बार ज्ञापन दिया गया है और जब मांग पूरी नहीं हुई तो अब हताश होकर दो दिन के ध्यानआकर्षण प्रदर्शन के लिए 22 और 23 जुलाई को रायपुर में इकट्ठा होंगे। इससे प्रदेश में स्वास्थ्य व्यवस्था चरमरा सकती है और आम जनता की तकलीफ बढ़ेगी। लगभग 16000 की संख्या वाले इस संगठन में डॉक्टर, नर्स, एएनएम, सीएचओ, आरएमए, पैरामेडिकल स्टाॅफ, एमपीडब्ल्यू, चतुर्थ वर्ग, काउंसलर, फार्मासिस्ट टीबी/वेक्टर बोर्न सुपरवाइजर, डाटा एंट्री ऑपरेटर, लेखा प्रबंधक, लैब टेक्नीशियन, प्रबंधकीय संवर्ग के लोग हैं।

प्रांत-अध्यक्ष डॉ अमित कुमार मिरी के अनुसार-कार्य कर रहे कर्मचारियों के लिए अनुपूरक बजट 19 जुलाई 2023 में 27 प्रतिशत संविदा वेतन वृद्धि की घोषणा विधानसभा में की गई थी, जिसके लिए 350 करोड़ का प्रतिवर्ष बजट भी रखा गया था, कई अन्य विभागों/योजनाओं में यह प्राप्त भी हो चुका है किंतु आज दिनांक 01 साल बीत जाने पर भी इसका लाभ एनएचएम कर्मचारियों को नहीं मिला है, अल्प-वेतन में काम कर रहे कर्मचारियों को घोषित वेतन-वृद्धि का लाभ ना देना यह सरकार/अधिकारियों की नियत पर संदेह पैदा करता है।

यह स्वास्थ्य सेवाएं होंगी प्रभावित

संस्थागत प्रसव, टीकाकरण कार्य, गर्भवती माता जांच, दवाई वितरण सभी जांचे, उच्च संस्थानों में रेफर, काउंसलिंग कार्य, आयुष्मान भारत कार्ड निर्माण, सिकल सेल स्क्रीनिंग, हेल्थ मेला, शिशु संरक्षण कार्यक्रम, ओपीडी, आईपीडी, जन्म एवं मृत्यु प्रमाण पत्र, राष्ट्रीय कार्यक्रम टीबी टेस्ट, डेंगू नियंत्रण, चिरायु कार्यक्रम, यू-विन पोर्टल में एंट्री, समस्त ऑनलाइन एंट्री, एनीमिया जांच, बीपी/शुगर जांच एवं दवा वितरण, मलेरिया, गर्भवती महिलाओं का रूटीन टेस्ट, एचआईवी ऐड्स टेस्ट-जांच एवं काउंसलिंग, डायरिया नियंत्रण पखवाड़ा कार्यक्रम प्रभावित हो सकता है, वर्तमान में जिला में डेंगू, डायरिया नियंत्रण एवं मलेरिया के संभावित मरीजों का सर्वे चल रहा है, कर्मचारियों के हड़ताल में जाने से सभी स्वास्थ्य विभाग के राष्ट्रीय कार्यक्रम प्रभावित होंगे, एवं आम जनता को परेशानी का सामना करना पड़ेगा।

प्रमुख 18 सूत्रीय मांगे

नियमितीकरण, एनएचएम कर्मचारियों का पे-स्केल/ग्रेड-पे निर्धारण, लंबित 27 प्रतिशत वेतन वृद्धि का भुगतान, विभिन्न पदों में वेतन विसंगति, सेवा पुस्तिका निर्धारण कार्य-मूल्यांकन व्यवस्था में सुधार और पारदर्शिता, वेतन पुनरीक्षण, तबादला व्यवस्था में अनियमितता, चिकित्सा परिचर्या, अवकाश नियम में बदलाव, अनुकंपा नियुक्ति, पदोन्नति का प्रावधान तथा भर्ती में एनएचएम कर्मचारियों को नियमित पाठ्यक्रम की बाध्यता से छूट, अनुकंपा अनुदान राशि में वृद्धि, कार्य आधारित मूल्यांकन में रुके 5% वेतन वृद्धि का भुगतान, चिरायु योजना के तहत कार्य कर रहे एम एल टी के वेतन विसंगति, ई पी एफ का लाभ, मुख्यालय निवास नियम में बदलाव, शासकीय आवास का आवंटन की मांग शामिल है।

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