नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट ने जस्टिस यशवंत वर्मा के खिलाफ एफआईआर दर्ज करने की मांग करने वाली याचिका बुधवार को खारिज कर दी है। जस्टिस एएस ओका की अध्यक्षता वाली बेंच ने याचिकाकर्ता से कहा कि वह राष्ट्रपति या प्रधानमंत्री से सम्पर्क करे, क्योंकि चीफ जस्टिस ने जांच रिपोर्ट भेज दी है। याचिकाकर्ता ने प्रधानमंत्री और राष्ट्रपति को कोई प्रतिवेदन नहीं दिया है, इसलिए इस याचिका पर सुनवाई नहीं की जा सकती है।
वकील नेदुम्परा और दो दूसरे याचिकाकर्ताओं की याचिका में मांग की गई थी कि दिल्ली पुलिस को इस मामले में एफआईआर दर्ज कर प्रभावी जांच करने का दिशा-निर्देश जारी किया जाए। याचिका में कहा गया था कि चीफ जस्टिस की ओर से गठित तीन सदस्यीय जांच समिति को जस्टिस वर्मा के आवास पर आग लगने की घटना की जांच करने का कोई अधिकार नहीं है। यह घटना भारतीय न्याय संहिता के तहत विभिन्न संज्ञेय अपराधों के दायरे में आती है।
याचिका में कहा गया था कि जांच समिति को इस तरह जांच का अधिकार देने के फैसले का कोई मतलब नहीं है, क्योंकि सुप्रीम कोर्ट कॉलेजियम को खुद को ऐसा आदेश देने का अधिकार नहीं है। याचिका में कहा गया था कि जब अग्निशमन दल और दिल्ली पुलिस ने आग बुझाने का काम किया तो यह भारतीय न्याय संहिता के विभिन्न प्रावधानों के तहत संज्ञेय अपराध है और यह पुलिस का कर्तव्य है कि वो एफआईआर दर्ज करे। याचिका में कहा गया था कि यह न्याय बेचकर काला धन रखने का मामला है। याचिका में कहा गया था कि जस्टिस वर्मा के बयान पर अगर विश्वास भी कर लिया जाए तो यह सवाल बना हुआ है कि उन्होंने एफआईआर दर्ज क्यों नहीं कराई।
जस्टिस यशवंत वर्मा के घर पर 14 मार्च को आग लगने के बाद अग्निशमन विभाग ने कैश बरामद किया था।
सुप्रीम कोर्ट ने खारिज की जस्टिस यशवंत वर्मा के खिलाफ एफआईआर की याचिका












