कर्मचारी नेताओं ने उदाहरण देते हुए कहा कि उत्तर प्रदेश में विधानसभा चुनाव 2027 में करीब 18 माह बाद होने हैं, परंतु प्रदेश चुनाव अधिकारियों द्वारा उत्तर प्रदेश के करोड़ों मतदाताओं की सूची एक माह के समय में पूरी करने के तानाशाही आदेश जारी किए गए हैं। इसके कारण तीन बीएलओ, जो ग्रुप सी कर्मचारी वर्ग से हैं, आत्महत्या करने को विवश हो गए हैं। एमएल सहगल के अनुसार जानकारी मिली है कि इनमें से एक कर्मचारी की शादी के अवसर पर ही एक दिन का अवकाश तक नहीं दिया गया, जिसके कारण उसने आत्महत्या जैसा कदम उठा लिया।
हिसार। केंद्रीय चुनाव आयोग द्वारा 12 प्रदेशों में मतदाता सूची में सुधार को लेकर करवाई जा रही स्पेशल इंटेंसिव रिवीजन (एसआईआर) कर्मचारी वर्ग के लिए जानलेवा साबित हो रही है। यह बात अखिल भारतीय राज्य कर्मचारी परिसंघ के राष्ट्रीय चेयरमैन एमएल सहगल और सचिव नरेंद्र धीमान ने शुक्रवार काे एक संयुक्त बयान में कही। उन्होंने कहा कि बिहार विधानसभा चुनाव के बाद 12 प्रदेशों में एसआईआर योजना के अधीन मतदाता सूचियों में सुधार प्रक्रिया सीमित समय में पूरा करवाने को लेकर चुनाव आयोग द्वारा कर्मचारी वर्ग पर शारीरिक, मानसिक, सामाजिक व आर्थिक दबाव डालकर आत्महत्या करने पर विवश किया जा रहा है।
इन मामलों को अखिल भारतीय राज्य कर्मचारी परिसंघ ने गंभीरता से लिया है। सहगल ने कहा कि केंद्रीय चुनाव आयोग के मुख्य चुनाव आयुक्त ज्ञानेश कुमार की पुत्री जो उत्तर प्रदेश के नोएडा में जिला मजिस्ट्रेट के पद पर कार्यरत है, ने यूपी के 60 बीएलओ व सात सुपरवाइजरों पर एफआईआर दर्ज करवा दी है कि वो मतदाता सूची संबंधी निर्धारित कार्यों में सक्रियता नहीं दिखा रहे हैं।













