नई
दिल्ली, । वकील जय अनंत देहाद्राई ने तृणमूल कांग्रेस
नेता महुआ मोइत्रा के खिलाफ दायर मानहानि याचिका दिल्ली हाई कोर्ट से वापस
ले ली है। जस्टिस प्रतीक जालान ने याचिका वापस लेने की अनुमति दे दी।
बीस
मार्च को हाई कोर्ट ने कहा था कि अगर देहाद्राई ने सार्वजनिक रूप से आरोप
लगाए हैं तो महुआ मोइत्रा को भी अपने ऊपर लगे आरोपों का सार्वजनिक रूप से
बचाव करने का अधिकार है। कोई भी निरोधात्मक आदेश जारी करने से पहले हमें ये
देखना होगा कि याचिकाकर्ता ने प्रतिवादी पर सार्वजनिक रूप से आरोप लगाए
हैं कि नहीं। अगर ऐसा होगा तो महुआ मोइत्रा को सार्वजनिक रूप से अपने को
बचाव करने के अधिकार से वंचित नहीं कर सकते हैं। हाई कोर्ट ने कहा था कि
अनंत देहाद्राई और महुआ मोइत्रा के बीच सार्वजनिक बयानबाजी काफी निचले स्तर
तक पहुंच गई।
हाई कोर्ट ने 20 मार्च को महुआ मोइत्रा को नोटिस जारी
किया था। सुनवाई के दौरान हाई कोर्ट ने कहा था कि ऐसा लगता है कि इस मामले
में दोनों पक्षकार बराबर के भागीदार हैं और कोई ये दावा नहीं कर सकता है
कि वो पीड़ित है। देहाद्राई ने अपनी याचिका में महुआ मोइत्रा पर आरोप लगाया
था कि वो उनके खिलाफ मानहानि वाले बयान देती हैं। देहाद्राई ने मोइत्रा के
बयान मीडिया में छापने पर भी रोक लगाने की मांग की थी। कोर्ट ने एक्स,
गूगल और दूसरे मीडिया घरानों को भी नोटिस जारी किया।
देहाद्राई और
महुआ मोइत्रा रिलेशनशिप में थे, जो बाद में अलग हो गए। देहाद्राई की शिकायत
पर ही मोइत्रा को संसद से पहले निलंबित किया गया और बाद में संसद की
सदस्यता से बर्खास्त कर दिया गया। देहाद्राई ने आरोप लगाया था कि व्यापारी
दर्शन हीरानंदानी ने संसद में सवाल पूछने के लिए रिश्वत लिये थे। भाजपा
सांसद निशिकांत दुबे ने लोकसभा स्पीकर से महुआ मोइत्रा की शिकायत की थी।
देहाद्राई की याचिका में कहा गया था कि उनकी शिकायत के बाद मोइत्रा ने उनके
खिलाफ सोशल मीडिया समेत मेनस्ट्रीम मीडिया में अपमानजनक बयान जारी किए थे।
महुआ ने उन्हें जॉबलेस और जिल्टेड शब्द का इस्तेमाल किया था। देहाद्राई के
मुताबिक इससे उनके प्रोफेशनल करियर पर असर पड़ा था।