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सुप्रीम कोर्ट ने हल्द्वानी के झुग्गी प्रभावितों के लिए पुनर्वास योजना बनाने का दिया निर्देश



नई दिल्ली,। सुप्रीम कोर्ट ने हल्द्वानी में रेलवे लाइन पर 4 हजार झुग्गियों को हटाने के उत्तराखंड हाई कोर्ट के आदेश के खिलाफ दायर याचिका पर सुनवाई करते हुए प्रभावितों के पुनर्वास की योजना बनाने का निर्देश दिया है। मामले की अगली सुनवाई 11 सितंबर को होगी।

सुनवाई के दौरान रेलवे ने सुप्रीम कोर्ट को बताया कि रेलवे स्टेशन और रेल लाइन के विस्तार के लिए जमीन की तत्काल जरूरत है। सुप्रीम कोर्ट ने रेलवे, उत्तराखंड और केंद्र सरकार से चार सप्ताह में अधिग्रहण के लिए ज़मीन और उससे प्रभावित होने वाले परिवारों की पहचान करने का निर्देश दिया। इसके पहले सुनवाई के दौरान रेलवे ने सुप्रीम कोर्ट में हलफनामा दायर कर कहा था कि पुनर्वास या मुआवजे का कोई प्रावधान नहीं है। रेलवे ने अपने हलफनामे में गोला नदी के किनारे अवैध अतिक्रमण को हटाने के बदले पुनर्वास या मुआवजा देने से इनकार करते हुए कहा कि रेलवे की भूमि पर अतिक्रमण के बदले पुनर्वास या मुआवजा देने की कोई नीति या प्रावधान नहीं है।

रेलवे का कहना है कि याचिकाकर्ताओं ने भी याचिका में पुनर्वास की कोई मांग नहीं की है। ऐसे में पुनर्वास या मुआवजे का सवाल ही नहीं है। हलफनामे में कहा गया है कि नैनीताल हाई कोर्ट ने गोला नदी में अवैध खनन के मामले में रेलवे का पक्ष जानने के बाद ही रेलवे भूमि से अतिक्रमण हटाने को कहा था। रेलवे ने आरोप लगाया है कि राजस्व के भारी नुकसान के बावजूद राज्य सरकारों के प्राधिकार रेलवे भूमि से अतिक्रमण हटाने में सहायता नहीं करते। हलफनामे में कहा गया है कि भविष्य की योजना और लोगों के हित के मद्देनजर हर अतिक्रमण या गैरकानूनी कब्जा को हटाने की जरूरत है नहीं तो भविष्य में यह रेल यात्रियों की परेशानी का कारण बनेगा। रेलवे का कहना है कि नजूल के प्रावधानों के मुताबिक संबंधित भूमि पर अतिक्रमण या अवैध कब्जा करने का हक किसी नागरिक को नहीं है। रेलवे ने इन याचिकाओं को खारिज करने का आग्रह करते हुए कहा कि अतिक्रमण हटाने पर लगायी गई रोक का आदेश वापस लेना चाहिए।

सुप्रीम कोर्ट ने 5 जनवरी, 2023 को हल्द्वानी में रेलवे लाइन पर 4 हजार झुग्गियों को हटाने के उत्तराखंड हाई कोर्ट के आदेश पर रोक लगा दी थी। पांच जनवरी को सुप्रीम कोर्ट ने उत्तराखंड सरकार और रेलवे को नोटिस जारी किया था। सुनवाई के दौरान याचिकाकर्ता की वकील ने कहा था कि इस मामले में कुछ लोगों ने नीलामी में जमीन को खरीदा है। कोर्ट ने कहा था कि इसमें एक मानवीय पहलू शामिल है। किसी को इस स्थिति और समस्याओं का मूल्यांकन करना चाहिए। आप यह सुनिश्चित कीजिए कि वहां आगे से कोई अतिक्रमण न हो।

उत्तराखंड हाई कोर्ट ने रेलवे की जमीन खाली करने का आदेश दिया था। इससे 4365 परिवार प्रभावित होंगे। हाई कोर्ट के आदेश के बाद इस क्षेत्र को खाली करने के लिए सात दिन का समय दिया जाएगा। याचिका दायर करने वालों में हल्द्वानी के शराफत खान समेत 11 लोग हैं। उत्तराखंड हाई कोर्ट ने अतिक्रमण हटाने के आदेश जारी करते हुए कहा था कि अतिक्रमण हटाए बिना पुनर्वास की किसी याचिका पर सुनवाई नहीं होगी। इस मामले में रेलवे ने अखबार में भी नोटिस प्रकाशित कर दी थी।

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