नई दिल्ली। दिल्ली हाई कोर्ट ने सेना में गुर्जर रेजिमेंट का गठन करने की मांग करने वाली याचिका पर सुनवाई करने से इनकार कर दिया। चीफ जस्टिस डीके उपाध्याय की अध्यक्षता वाली बेंच ने ऐसी याचिका दाखिल करने पर याचिकाकर्ता को फटकार लगाते हुए कहा कि ये पूरी तरह से विभाजनकारी है। सुनवाई के दौरान कोर्ट ने याचिकाकर्ता को जनहित याचिका दायर करने के पहले कुछ रिसर्च करने की भी सलाह दी।
यह याचिका रोहन बसोया ने दायर की थी। याचिका में कहा गया था कि बेहतरीन लड़ाकू विरासत होने के बावजूद गुर्जरों की रेजिमेंट को मान्यता नहीं दी गई जैसा कि सिख, जाट, राजपूत, गोरखा और डोगरा समुदायों को दी गई। याचिका में कहा गया था कि इतिहास में भारतीय सेना ने समुदाय आधारित रेजिमेंट को मान्यता देते हुए इसे बरकरार भी रखा है। गुर्जरों को इस सिस्टम से हटाना उनके प्रतिनिधित्व में असंतुलन पैदा करेगा और ऐसा करना संविधान के अनुच्छेद 14 और 16 का उल्लंघन होगा। गुर्जर रेजिमेंट के गठन से समान अवसर उपलब्ध होंगे और इससे राष्ट्रीय सुरक्षा को बढ़ावा मिलेगा।
सुनवाई के दौरान बसोया की ओर से पेश वकील से कोर्ट ने कहा कि आप चाहते हैं कि कोर्ट इसे लेकर आदेश जारी करे। परमादेश जारी करने की प्रारंभिक शर्तें क्या होती हैं। इसके लिए आपके पास देश के कानून या संविधान के मुताबिक कुछ अधिकार होने चाहिए। किस कानून के तहत आप गुर्जर रेजिमेंट की मांग कर रहे हैं। उसी कानून के तहत आपको अधिकार मिलेगा। सुनवाई के दौरान कोर्ट ने याचिकाकर्ता को जनहित याचिका दायर करने के पहले कुछ रिसर्च करने की सलाह दी। कोर्ट की इस सलाह के बाद याचिकाकर्ता ने हाई कोर्ट से याचिका वापस ले ली।
दिल्ली हाई कोर्ट ने खारिज की भारतीय सेना में गुज्जर रेजिमेंट गठित करने की मांग
