हाईकोर्ट ने लोन के मामले में डीआरटी का आदेश रद्द किया, बैंक को लौटाना होगा मकान का कब्जा

जयपुर। राजस्थान हाईकोर्ट ने लोन की किस्त भरने में देरी के कारण बैंक के याचिकाकर्ता की सम्पत्ति पर कब्जा करने के ऋण वसूली न्यायाधिकरण (डीआरटी) के आदेश को रद्द कर दिया। कोर्ट ने डीआरटी से इस मामले में दो माह में पुन: सुनवाई करने को कहा है। इसके साथ ही अदालत ने याचिकाकर्ता को उसकी सम्पत्ति का कब्जा वापस दिला दिया है। जस्टिस अनूप ढंड ने यह आदेश जयपुर के रवि गोस्वामी व सविता गोस्वामी की अपील पर दिए।
याचिका में अधिवक्ता हेमंत कुमार शर्मा ने अदालत को बताया कि लोन की किस्त समय पर नहीं पाने के कारण आईसीआईसीआई बैंक ने याचिकाकर्ता का खाता एनपीए कर दिया। जिसे याचिकाकर्ता ने डीआरटी में चुनौती दी। याचिका में कहा कि डीआरटी का आदेश रद्द कर बैंक से याचिकाकर्ता को उसकी सम्पत्ति वापस दिलाई जाए। याचिकाकर्ता ने हाईकोर्ट में कहा कि डीआरटी के अंतरिम आदेश पर याचिकाकर्ता ने बैंक को करीब 30 लाख रुपए का भुगतान कर दिया। इसके बावजूद याचिकाकर्ता पक्ष के ऋण खाते एनपीए में शामिल कर बैंक ने उसकी जयपुर में सेज स्थित सम्पत्ति को कब्जे में ले लिया गया। याचिका में हाईकोर्ट से कहा गया कि डीआरटी ने याचिकाकर्ता का पक्ष नहीं सुना, जिसका उसे खामियाजा भुगतना पड़ा। बैंक ने डीआरटी के आदेश के खिलाफ हाईकोर्ट में सुनवाई पर सवाल उठाया। इस पर हाईकोर्ट ने कहा कि डीआरटी प्राकृतिक न्याय के सिद्धान्त की पालना करते हुए याचिकाकर्ता काे उसका पक्ष रखने का मौका दे।