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अवैध मस्जिद-मजारों को ध्वस्त करने की मांग वाली याचिका वापस नहीं ली तो सीएमएस ने शिक्षक को नौकरी से निकाला


लखनऊ, । अवैध मस्जिद एवं मजारों को ध्वस्त किए जाने और मुस्लिम बहुविवाह प्रथा के विरुद्ध लगी याचिकाओं को वापस न लेने पर सिटी मांटेसरी स्कूल प्रशासन ने एक शिक्षक को नौकरी से निकाल दिया। पीड़ित कुलदीप तिवारी सीएमएस लखनऊ की ऐशबाग राजेन्द्रनगर प्रथम शाखा में गणित शिक्षक के रूप में कार्यरत थे।

कुलदीप तिवारी शिक्षण के साथ-साथ जन उद्घोष सेवा संस्थान के जरिए सामाजिक कार्य भी करते हैं। इसी संस्था के नाम से उन्होंने काशी ज्ञानवापी, मथुरा और भोजशाला प्रकरण के प्रमुख वादी होने के साथ-साथ अवैध-मस्जिद मजारों को ध्वस्त किए जाने और मुस्लिम बहुविवाह प्रथा के विरुद्ध याचिका दाखिल की थी। कुलदीप ने हिन्दुस्थान समाचार को बताया कि स्कूल प्रशासन ने उनसे उपरोक्त सभी याचिकाओं को वापस लेने का दबाव डाला था और कहा था कि हम पर ऊपर से दबाव है। आप केसेज वापस लीजिए या फिर सीएमएस छोड़ दीजिए। शिक्षक ने बताया कि विद्यालय ने उन्हें नौकरी से निकाल दिया है। सिटी मांटेसरी स्कूल की प्रधानाचार्य जयश्री ने इस मुद्दे पर कुछ भी बोलने से इनकार किया है।

कुलदीप ने ही रामायण को गलत तरीके से दिखाने वाली फिल्म अदिपुरुष के खिलाफ इलाहाबाद हाई कोर्ट की लखनऊ खंडपीठ में याचिका लगाई थी जिस पर फिल्म मेकर्स और सेंसर बोर्ड को फटकार पड़ी थी। उन्होंने अवैध मस्जिद एवं मजारों को ध्वस्त किए जाने को लेकर भी याचिका दाखिल की थी।

सीएमएस एक बहाई पंथ को मानने वाली संस्था है। वर्ष 1974 में इसके संस्थापक जगदीश अग्रवाल (बाद में गांधी नाम रख लिया) ने परिवार सहित बहाई पंथ अपनाया था। सीएमएस में टीचर्स और कर्मचारियों को लालच और दबाव देकर बहाई बनाया जाता है, अनेकों कर्मचारी असल में बहाई बन चुके हैं। विद्यालय के सूत्रों के मुताबिक विद्यालय में बच्चों को नैतिक शिक्षा के नाम पर बहाई शिक्षा की तरफ मोटिवेट किया जाता है। सीएमएस के सभी विद्यालयों में रमजान में हर ब्रांच में रोजा इफ्तार पार्टी कराई जाती है। हिंदू टीचर्स और कर्मचारी निकाल कर धीरे-धीरे मुस्लिम भरे जा रहे हैं। बच्चों की फीस माफी के नाम पर बहुतायत में सिर्फ मुस्लिमों की ही फीस माफ की जाती है।

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