देहरादून। उत्तराखंड सचिवालय में ऊर्जा सचिव आर मीनाक्षी सुंदरम व अन्य स्टाफ के साथ अभद्रता मामले में आरोपित उत्तराखंड बेरोजगार संघ के अध्यक्ष बॉबी पंवार ने साेमवार काे अपनी सफाई दी है। पंवार का आरोप है कि ऊर्जा विभाग में अब तक हुई समस्त नियुक्तियां नियम विरुद्ध हुई हैं। इसकी जांच सीबीआई से करानी चाहिए। उन्होंने इस मुद्दे को लेकर कोर्ट जाने की चेतावनी दी है।
उत्तराखंड बेरोजगार संघ के अध्यक्ष बॉबी पंवार ने यहां उत्तरांचल प्रेस क्लब के सभागार में पत्रकारों से वार्ता की। उन्होंने कहा कि प्रदेश के ऊर्जा विभाग के यूजेवीएनएल में वर्ष 2001, 2003 एवं 2003 में जूनियर इंजीनियर व सहायक अभियंता के पदों पर नियम विरुद्ध तरीके से नियुक्त हुए जूनियर इंजीनियर अब सहायक अभियंता और सहायक अभियंता व अधिशासी अभियंता बन चुके हैं। इनमें से कई जीएम व डीजीएम भी बन चुके हैं। वहीं वर्ष 2005 में अधिशासी अभियंता की सीधी भर्ती निकाली गई, जबकि सीधे अधिशासी अभियंता के पदों पर विज्ञापन का कोई प्रावधान ही नहीं है। विज्ञापन प्रकाशित हाेने के बाद राजीव कुमार सावण और सुजीत कुमार सिंह नियुक्त हुए। उसके बाद बोर्ड ने इसी विज्ञापन के माध्यम से दो सहायक अभियंताओं राजीव कुमार और मनमोहन बलोदी की नियुक्ति कर दी। बाॅबी पंवार ने बताया कि लगभग छह माह बाद राजीव कुमार श्रावण ने अधिशासी अभियंता के पद से त्यागपत्र दे दिया व सीट रिक्त हो गई, परंतु फिर बोर्ड ने नियम विरुद्ध तरीके से वर्ष 2006 में सुनील कुमार जोशी को अधिशासी अभियंता पद पर तैनात कर दिया। वे वर्तमान में लखवाड़-व्यासी परियोजना के जीएम हैं। ऐसे ही वर्तमान समय में विभिन्न परियोजनाओं में दर्जनों अधिशासी अभियंता, जीएम- डीजीएम बने हुए हैं और अरबों रुपये की संपत्ति अर्जित कर चुके हैं।
उन्होंने आरोप लगाया कि ऊर्जा विभाग के सचिव आर मीनाक्षी सुंदरम ने सेवानिवृत्त होने के बाद कई अधिकारियों को दो-दो वर्ष का सेवा विस्तार दे दिया है। इसमें अनिल कुमार यादव एमडी यूपीसीएल, सुरेंद्र चंद्र बलूनी डायरेक्टर प्रोजेक्ट यूजेवीएनएल और संदीप सिंघल एमडी यूजेवीएनएल आदि शामिल हैं। पंवार ने कहा कि वह इन्हीं सब मुद्दों पर ऊर्जा सचिव आर मीनाक्षी सुंदरम से चर्चा करना चाहते थे किंतु उससे पूर्व ही सचिव के साथ उनकी कहासुनी हो गई, इसलिए अब ये मुद्दे जनता के सम्मुख लाए जा रहे हैं। बॉबी पंवार ने कहा कि प्रदेश में नियम विरुद्ध तरीके से सब कुछ चल रहा है। उन्होंने मांग की है कि सेवा विस्तार परिपाटी को समाप्त कर ऊर्जा विभाग में अब तक हुई समस्त नियुक्तियों की जांच सीबीआई से कराई जाए।