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धान की पराली जलाने पर फतेहाबाद में चार किसानाें पर एफआईआर दर्ज


फतेहाबाद। प्रतिबंध के बावजूद धान की पराली जलाने वालों के खिलाफ कानूनी कार्रवाई जारी है। जिला पुलिस द्वारा पराली जलाने के आरोप में साेमवार काे चार एफआईआर दर्ज की गई हैं। अब तक 14 किसानों के खिलाफ एफआईआर दर्ज हो चुकी है। पहले मामले में भूना पुलिस को दी शिकायत में कृषि विभाग भूना से एटीएम धर्मवीर ने कहा है कि उपायुक्त द्वारा धान कटाई उपरांत बचे हुए अवशेष जलाने पर पूर्ण प्रतिबंध लगाया हुआ है।
गत दिवस हरसेक द्वारा उन्हें जीपीएस लोकेशन भेजी गई जिसमें गांव जंडली खुर्द में किसान द्वारा अपने खेत में आग लगाने की सूचना थी। इस पर कृषि विभाग की टीम मौके पर पहुंची तो पाया कि किसान संदीप पुत्र दिलबाग निवासी जांडली खुर्द ने अपने खेत में 15 कनाल 16 मरला जमीन पर पराली में आग लगाई हुई थी। इस पर कृषि विभाग की टीम ने इस बारे पुलिस को सूचना दी। इस मामले में पुलिस ने आरोपी किसान के खिलाफ केस दर्ज कर लिया है। दूसरे मामले में भूना पुलिस ने एटीएम धर्मवीर की ही शिकायत पर किसान
संदीप पुत्र होशियार सिंह निवासी जाण्डली कलां के खिलाफ केस दर्ज किया है। हरसेक से मिली लोकेशन के बाद कृषि विभाग की टीम मौके पर पहुंची तो पाया कि किसान ने 29 कनाल खेत में पराली जलाई हुई थी। तीसरे मामले में भूना पुलिस ने एटीएम महेन्द्रपाल की शिकायत पर किसान गुरजिन्द्र सिंह पुत्र गुरमीत सिंह निवासी रहनखेड़ी के खिलाफ केस दर्ज किया है। हरसेक से मिली लोकेशन के बाद कृषि विभाग की टीम मौके पर पहुंची तो पाया कि किसान ने 7 कनाल 8 मरला खेत में पराली जलाई हुई थी। चौथे मामले में सदर फतेहाबाद पुलिस ने एग्रीकल्चर सुपरवाइजर भारतरतन की शिकायत पर किसान वेदप्रकाश पुत्र भरत सिंह निवासी हिजरावां कलां के खिलाफ केस दर्ज किया है। हरसेक से मिली लोकेशन के बाद कृषि विभाग की टीम मौके पर पहुंची तो पाया कि किसान ने 8 कनाल खेत में पराली जलाई हुई थी।
स्मॉग की चादर से घिरा फतेहाबाद
फतेहाबाद में साेमवार सुबह से ही घने स्मॉग की चादर से पूरा आसमान घिरा हुआ है। जिसके कारण फतेहाबाद क्षेत्र में आज एयर क्वालिटी इंडेक्स 306 के करीब पहुंच चुका है। जो वायु प्रदूषण की बेहद खराब स्थिति मानी जाती है। हालात यह हैं कि फतेहाबाद के सरकारी अस्पताल में सांस लेने में दिक्कत, एलर्जी, जुकाम आदि के मरीजों से ओपीडी भर गई। अब तक जिले भर में 65 से ज्यादा लोकेशन सामने आ चुकी हैं। जहां पराली जलाई गई। हालांकि पिछले वर्ष की तुलना में यह आंकड़ा कम है, लेकिन वायु प्रदूषण के लिए बहुत ज्यादा है।

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