उल्लेखनीय है कि, प्रदेश के लगभग सभी जिलों में आंबा भवन जर्जर हो गए हैं, जबकि इनके संधारण व नए निर्माण की दिशा में अब तक कोई सार्थक पहल नहीं होना समझ से परे है। सूरजपुर जिले में 2080 आंबा केन्द्रों में 1699 आंबा केन्द्र स्वयं के भवन में संचालित है, जिसमें 184 से उपर भवन जर्जर हो चुके हैं और 326 केन्द्र आज भी किराए में चल रहे हैं। जर्जर भवनों के साथ भवन विहीन आंचा केन्द्रों में खतरे के बीच नौनिहालों का भविष्य और जिम्मेदारों की चुप्पी जहां एक ओर चिंता बढ़ा रही है, वहीं दूसरी ओर टूटती दीवारें, गिरता प्लास्टर, छतों से रिसता पानी व जीण-शीर्ण हो गए दरवाजे, खिड़कियों से बच्चों की सुरक्षा पर भी बड़ा सवालिया निशान है।
खतरें में नौनिहाल, हो सकता है कभी भी बड़ा हादसा
आंगनबाड़ी भवनों का आलम यह है कि जिन भवनों में बच्चों को बैठाकर आरंभिक शिक्षा दी जा रही है, वही भवन उनकी जान के लिए खतरा बने हुए हैं। वैकल्पिक व्यवस्था न होने के कारण जर्जर भवनों में केन्द्रों का संचालन किया जा रहा है, परंतु ठोस कार्रवाई न होने से बच्चों का भविष्य अधर में लटका है। निर्माण एजेंसियों की उदासीनता और भ्रष्टाचार का आलम यह है कि कमजोर निर्माण, दरारें, टपकती छतें, असुरक्षित किचन शेड सुरक्षा के लिए खतरा बना हुआ है। साथ ही केन्द्रों के अंदर व बाहर बारिश के दिनों में पानी भरने से स्थिति और भी असहज हो गई है।
आंगनवाड़ी केन्द्रों के संचालन में विकासखण्डों पर भी नजर मारें तो सभी परियोजनाओं में भवनों की स्थिति एक सी बनी हुई है।
निष्प्रयोजित हो चुके भवनों को अब तक तकनीकी अमले व समिति के द्वारा अधिकृत नहीं किया गया है और विभाग के प्रशासनिक अमले की उदासीनता का आलम महिला एवं बाल विकास मंत्री के गृह जिले में यह है तो अन्य जिलों की स्थिति क्या होगी, इसका सहज ही अंदाजा लगाया जा सकता है।
मरम्मत के लिए मिली एक करोड़ की राशि
महिला एवं बाल विकास विभाग के जिला कार्यक्रम अधिकारी शुभम बंसल ने आज गुरुवार को हिन्दुस्थान समाचार से चर्चा में बताया कि संधारण वाले आंगनबाड़ी केन्द्रों में 152 भवनों के मरम्मत के लिए लगभग एक करोड़ की राशि प्राप्त हुई है। वहीं गत वर्ष भी 68 भवनों की मरम्मत की गई थी, इसमें जर्जर भवनों व किचन शेडो की मरम्मत होगी। वहीं नए भवनों के लिए भी प्रस्ताव शासन को प्रेषित किया गया है। साथ ही ऐसे भवन जो उपयोग के लिए निष्यायोजित हैं, उन भवनों के संदर्भ में उच्चाधिकारियों को जानकारी दी गई है।
सूरजपुर :महिला एवं बाल विकास मंत्री के गृह जिले में 326 आंबा केंद्र किराए में और 184 हो गए जर्जर

सूरजपुर। प्रदेश सरकार एक ओर छोटे-छोटे बच्चों के विकास, पोषण और आरंभिक शिक्षा के लिए बड़े पैमाने पर पैसा बहा रही है और कई योजनाएं भी संचालित हैं। किन्तु महिला एवं बाल विकास विभाग के आंगनबाड़ी केन्द्रों को देखें तो विभागीय व्यवस्थाओं पर सवालिया निशान लग जाते हैं। अव्यवस्थाओं की मार झेल रहे जिले में खण्डहर के रूप में तब्दील हो चुके आंबा केन्द्रों में संचालन एक बड़ी चुनौती के साथ-साथ आंगनबाड़ी कार्यकर्ताओं व सहायिकाओं की मजबूरी भी है। महिला एवं बाल विकास मंत्री गृह जिले में नौनिहालों का भविष्य गढ़ने के लिए बने आंगनबाड़ी केन्द्रों की अवस्था ऐसी हो गई है कि मानों अब गिरे, जिससे बच्चों की सुरक्षा के खतरे के साथ-साथ जिम्मेदारों की लापरवाही का बड़ा मामला है। अपना भवन न होने का दंश झेल रहे आंगनबाड़ी केन्द्रों में 226 केन्द्र किराए के भवनों में चल रहे हैं। 184 भवन ऐसे हैं, जिनकों खुद विभाग ने संचालन के लिए उपर्युक्त नहीं माना है और बच्चों की सुरक्षा का खतरा बताया है।