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दस माह के बच्चे के पेट से बालों वाला क्लिप निकाल डाक्टरों ने बचाई जान


कहते हैं डॉक्टर भगवान के रूप होते हैं। इसी को चरितार्थ कर दिखाया है पूर्णिया के डाक्टरों ने।

पूर्णिया के सरकारी अस्पताल में एक डॉक्टर की ऐसी टीम है जो दर-दर भटक रहे, निराशा की ओर बढ़ते हुए लोगों के लिए जीवन की आशा बन जाते हैं। इन डॉक्टरों के कई बड़े-बड़े सफलताओं के बाद इस नई जीत की चारों तरफ उनकी चर्चा हो रही है।



राजकीय चिकित्सा महाविद्यालय अस्पताल में एक अभूतपूर्व चिकित्सकीय सफलता ने सबका ध्यान खींचा है। 10 महीने के प्रणव कुमार नाम के बच्चे ने बालों में लगाने वाला क्लिप को निगल लिया था। कई निजी अस्पतालों से निराश होकर बच्चे के माता-पिता उसे लेकर 19 जुलाई की शाम राजकीय अस्पताल पहुंचे।


चिकित्सकों के समक्ष कई चुनौतियां थीं - बच्चे की कम उम्र, सीमित संसाधन और उपकरण, तथा जटिल प्रक्रिया का खतरा। लेकिन डॉक्टरों की टीम ने हार नहीं मानी। छोटे बच्चों का ऑपरेशन था इसलिए छोटे-छोटे सामानों की व्यवस्था करनी पड़ी।


अस्पताल के अधीक्षक डॉ संजय कुमार लगातार दोपहरी रात तक ऑपरेशन के दौरान मौजूद रहे या उनकी टीम भावना तथा मरीजों के प्रति समर्पण को दर्शाता है।सर्जन डाक्टर तारकेश्वर कुमार,अधीक्षक डाक्टर संजय कुमार एवं एनेस्थेटिस्ट डाक्टर विकास कुमार टीम ने तत्काल कार्रवाई की।


उन्होंने आवश्यक उपकरण जुटाए और पीडियाट्रिक इंडोस्कोप का उपयोग किया। मात्र 10 मिमी का छेद करके क्लिप को सफलतापूर्वक निकाला गया। ऑपरेशन शुरू करने से पहले उस 10 महीने के बच्चे को 3 घंटे तक भूखा रखना पड़ा। लगभग तीन घंटे चले इस जटिल ऑपरेशन में 10 डाक्टरों की टीम जिसमें सहयोगी डाक्टर भी थे लगातार डेट रहे।


अधीक्षक डॉ. संजय कुमार भी देर रात तक मौजूद रहे, जो उनकी प्रतिबद्धता को दर्शाता है। डॉ. विकास कुमार ने कहा, "यह सफलता टीम भावना और निःस्वार्थ सेवा का परिणाम है। हमने दिखाया है कि सीमित संसाधनों में भी बेहतरीन स्वास्थ्य सेवा संभव है।" यह घटना न केवल सरकारी अस्पतालों की क्षमता को दर्शाती है, बल्कि चिकित्सकों के समर्पण को भी उजागर करती है। यह सफलता सरकारी स्वास्थ्य सेवाओं के प्रति जनता की धारणा को सकारात्मक रूप से बदलने में मददगार साबित हो सकती है।

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