कोलकाता। कलकत्ता उच्च न्यायालय ने पश्चिम बंगाल सरकार और संबंधित अधिकारियों को निर्देश दिया है कि चिंगरीघाटा क्रॉसिंग पर रुका हुआ कोलकाता मेट्रो का काम 15 फरवरी, 2026 तक हर हाल में पूरा किया जाए। यह मेट्रो मार्ग सेक्टर-5 को दक्षिण कोलकाता से जोड़ता है और रोजाना हजारों यात्रियों के लिए बेहद अहम है।
कार्यवाहक मुख्य न्यायाधीश सुजय पॉल की अध्यक्षता वाली खंडपीठ ने सुनवाई के दौरान कहा कि लंबे समय से चल रही देरी के कारण आम लोगों को भारी परेशानी हो रही है। अदालत ने राज्य सरकार को आदेश दिया कि वह 6 जनवरी, 2026 तक कोलकाता मेट्रो रेलवे को उन तीन निश्चित तारीखों की जानकारी दे, जिन दिनों यातायात प्रतिबंध की अनुमति दी जाएगी। इससे साल्ट लेक स्टेडियम के पास ईस्टर्न मेट्रोपॉलिटन बाईपास पर ओवरहेड मेट्रो वायाडक्ट का अंतिम चरण पूरा किया जा सकेगा।
अदालत ने स्पष्ट रूप से कहा कि चिंगरीघाटा जैसे व्यस्त चौराहे पर यातायात अवरोध की अनुमति न मिलने के कारण परियोजना बार-बार अटक रही है। न्यायालय ने इसे गंभीर विषय बताते हुए कहा कि समन्वय की कमी के कारण सार्वजनिक हित प्रभावित हो रहा है।
मामले में बताया गया कि करीब 366 मीटर लंबे हिस्से में वायाडक्ट खड़ा करने के लिए कम से कम तीन रातों तक यातायात नियंत्रित करना जरूरी है, लेकिन अब तक शहर पुलिस से इसकी अनुमति नहीं मिल सकी है। यह निर्देश एक जनहित याचिका की सुनवाई के दौरान दिया गया, जिसमें दक्षिण कोलकाता के कवि सुभाष से सेक्टर-5 होते हुए उत्तर कोलकाता के हवाई अड्डे तक जाने वाले मेट्रो कॉरिडोर में हो रही देरी को उठाया गया था।
याचिकाकर्ताओं ने अदालत को बताया कि मेट्रो कॉरिडोर का ज्यादातर काम पूरा हो चुका है, लेकिन चिंगरीघाटा इलाके में यातायात प्रबंधन को लेकर मतभेद के कारण काम लंबे समय से रुका हुआ है। सुनवाई के दौरान पीठ ने कहा कि यह मार्ग दक्षिण कोलकाता और सेक्टर-5 जैसे व्यस्त व्यावसायिक क्षेत्र के बीच सफर करने वाले यात्रियों के लिए बेहद जरूरी है। अदालत ने सभी एजेंसियों को आपसी तालमेल के साथ काम करने की सख्त जरूरत पर जोर दिया।--
राज्य सरकार चिंगरीघाटा मेट्रो कार्य 15 फरवरी तक पूरा करें : हाई कोर्ट












