‘नो मैपिंग’ श्रेणी के अलावा लगभग 1.36 करोड़ मतदाताओं के डेटा पर आयोग को संदेह है। ये नाम भी 2026 के ड्राफ्ट मतदाता सूची में शामिल हैं, लेकिन उनकी एन्यूमरेशन आवेदन पत्र में दी गई जानकारी संदिग्ध मानी जा रही है। ऐसे मामलों में बूथ स्तर के अधिकारियों (बीएलओ) द्वारा सत्यापन किया जाएगा। सत्यापन के बाद जिन मतदाताओं के संबंध में संदेह दूर नहीं होगा, केवल उन्हें ही सुनवाई के लिए बुलाया जाएगा।
प्रारंभिक चरण में लगभग 32 लाख अनमैप्ड मतदाताओं को सुनवाई के नोटिस जारी किए जाने की संभावना है। इनमें वे मतदाता शामिल हैं, जिनके नाम 2002 की एसआईआर में नहीं पाए गए थे, लेकिन 2026 की ड्राफ्ट सूची में शामिल हैं।
आधिकारिक सूत्रों ने बताया, “ड्राफ्ट सूची में नाम होने का मतलब यह नहीं कि मतदाता को सुनवाई के लिए बुलाया नहीं जाएगा। हालांकि उनके मामले में प्रक्रिया अपेक्षाकृत सरल हो सकती है। ईआरओ 18 दिसंबर से नोटिस जारी करना शुरू कर चुके हैं। नोटिस की दो प्रतियां दी जाएंगी, एक मतदाता को, और दूसरी मतदाता के हस्ताक्षर के बाद बूथ लेवल अधिकारी या बीएलओ के पास रखी जाएगी। नोटिस मिलने के बाद मतदाताओं को सुनवाई में शामिल होने के लिए कुछ समय दिया जाएगा, जो शीघ्र ही शुरू होने की संभावना है।”
इस प्रक्रिया का उद्देश्य मतदाता सूची की सटीकता सुनिश्चित करना और संदिग्ध या असंगत जानकारी वाले मतदाताओं के डेटा को सत्यापित करना है।
सुनवाई के लिए चुनाव आयोग ने मतदाताओं को नोटिस भेजना शुरू किया
कोलकाता। चुनाव आयोग ने गुरुवार से सुनवाई के लिए मतदाताओं को नोटिस भेजना शुरू कर दिया है। आयोग के सूत्रों के अनुसार, 2002 के मतदाता सत्यापन (एसआईआर) के बाद राज्य की मतदाता सूची से कोई संबंध स्थापित न कर पाने वाले 30 लाख 59 हजार 273 मतदाताओं को ‘नो मैपिंग’ श्रेणी में रखा गया है। इन सभी मतदाताओं को नोटिस भेजा जाएगा। नोटिस मिलने के सात दिन के भीतर मतदाता अपनी बात सुनवाई के दौरान रख सकेंगे। नोटिस में यह भी स्पष्ट किया जाएगा कि सुनवाई कब और कहां होगी।












