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वन बिग ब्यूटीफुल बिल: अमेरिका की एक बड़ी भूल


वन बिग ब्यूटीफुल बिल: अमेरिका की एक बड़ी भूल जो चीन को बना सकती है अगला सुपरपावर

हाल ही में अमेरिका की संसद में राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप द्वारा पेश किया गया "वन बिग ब्यूटीफुल बिल" पास हो गया है। इस बिल को ट्रंप सरकार की बड़ी जीत के तौर पर देखा जा रहा है क्योंकि इसे 218 सांसदों का समर्थन मिला, हालांकि 214 सांसदों ने इसका विरोध भी किया। लेकिन एक्सपर्ट्स और उद्योग जगत के विशेषज्ञ इस बिल को अमेरिका के लिए खतरे की घंटी मान रहे हैं। सवाल उठ रहा है कि क्या यह कानून अमेरिका की वैश्विक ताकत को कमजोर कर देगा और चीन को दुनिया का अगला सुपरपावर बनने का रास्ता खोल देगा?

इस कानून में कुछ सेक्टर में खर्च घटाया गया है जबकि कुछ क्षेत्रों में बेतहाशा पैसा झोंकने की योजना है। ट्रंप का दावा है कि इससे अमेरिका मजबूत होगा, लेकिन असल में यह बिल ग्रीन एनर्जी सेक्टर, जैसे सौर ऊर्जा, पवन ऊर्जा और बैटरी स्टोरेज, में अमेरिका की पकड़ को कमजोर कर सकता है। इन क्षेत्रों में निवेश घटने से रिन्युएबल एनर्जी से जुड़ी नौकरियों में भारी गिरावट आने की संभावना है।

दूसरी ओर, चीन पहले से ही इन सभी क्षेत्रों में भारी निवेश कर रहा है। वह इलेक्ट्रिक वाहन, कृत्रिम बुद्धिमत्ता (AI) और स्वच्छ ऊर्जा के क्षेत्र में तेज़ी से आगे बढ़ रहा है। ऐसे समय में, अमेरिका द्वारा अपने एनर्जी सेक्टर को कमजोर करना वैश्विक नेतृत्व की दौड़ में पीछे हटने जैसा है। एलन मस्क जैसे दिग्गज उद्योगपति ने इस बिल का खुलकर विरोध किया है। ऊर्जा विशेषज्ञों का मानना है कि इस कानून के चलते अमेरिका में अगले 10 वर्षों में बिजली की थोक कीमतें 50% तक बढ़ सकती हैं

इसका सीधा फायदा चीन को मिलेगा, जो दुनिया में स्वच्छ और सस्ती ऊर्जा का सबसे बड़ा प्रदाता बनने की दिशा में तेजी से आगे बढ़ रहा है। यानी ट्रंप की यह योजना अमेरिका को ताकतवर बनाने की बजाय उसे कमजोर कर रही है और चीन को वैश्विक मंच पर मजबूत कर रही है

इसलिए, भले ही ट्रंप ने इसे अपनी बड़ी उपलब्धि बताया हो, लेकिन विशेषज्ञ इसे 'अपने ही पैर पर कुल्हाड़ी मारने' जैसा कदम मान रहे हैं। समय रहते अमेरिका ने यदि अपने ऊर्जा और तकनीकी क्षेत्रों पर दोबारा ध्यान नहीं दिया, तो आने वाले दशक में उसकी वैश्विक भूमिका पर गंभीर सवाल खड़े हो सकते हैं

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