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फर्रुखाबाद के आलू किसानों को जाते जाते रुला गया 2025


मंडी में आलू के भाव 351 रुपये प्रति कुंतल पहुंचने से किसान आढ़ती दोनों परेशान

फर्रुखाबाद। उत्तर प्रदेश में आलू मंडी के लिए प्रसिद्ध फर्रुखाबाद जनपद के किसानाें काे वर्ष 2025 जाते-जाते आंखाें में आंसू देते हुए गुजरने वाला है। शनिवार को 351 रुपये से 501 रुपये के बीच प्रति कुंतल आलू बिका है, जिससे किसानों को लागत के दामों में भारी घाटा हो रहा है।

आलू आढ़ती एसोसिएशन के अध्यक्ष सुधीर कुमार वर्मा उर्फ रिंकू वर्मा बताते हैं कि आज आलू की आमद 150 ट्रक से ऊपर रही। हालात यह रहे कि आलू की बिक्री 351 रुपये प्रति कुंतल से लेकर 501 रुपये तक हुई। उनका कहना है कि शीतलहर के चलते आलू मंडी सातनपुर में आलू की आमद बढ़ती चली जा रही है और लिवाली (बिक्री) कम होने से किसान और आढ़ती दोनों को भारी घाटा पड़ रहा है।

आलू आढ़ती एसोसिएशन के अध्यक्ष बताते हैं कि जहां भाव अच्छे मिलने से किसान खुशहाल होता है। वहीं आलू के भाव सही होने पर आढ़ती को कमीशन अच्छा मिलता है। अब आलू आढ़ती और किसान दोनों परेशान हैं। आलू किसान कर्ज के दलदल में फस गया है।

आलू की सर्वाधिक खेती करने वाले सुधांशु गंगवार बताते हैं कि इस साल आलू की बंपर पैदावार हो रही है। जिसकी वजह से मंडी समिति में अधिक से अधिक आलू पहुंच रहा है। आलू अधिक पहुंचने से भाव दिन प्रतिदिन नीचे गिर रहे हैं। श्री गंगवार का कहना है कि आलू की खेती पर किसानों के बच्चों की पढ़ाई लिखाई और विवाह का दारोमदार टिका होता है। आलू के दाम गिरने से कई किसानों के बच्चों की पढ़ाई रुक गई है और कई अपनी बेटियों के हाथ पीले नहीं कर पा रहे हैं। जिससे किसान खून के आंसू रोने को मजबूर हो गया है। घने कोहरे की वजह से आलू के गिरे भाव ने किसानों के अरमानाें काे भी ठंडा कर दिए हैं।

जिला आलू विकास अधिकारी राघवेंद्र सिंह का कहना है कि फर्रुखाबाद के किसानों ने आलू की खेती को अपनी मूंछ से जोड़ रखा है। यहां होने वाले बेटे बेटियों की शादी में लोग सबसे पहले पूछते हैं कि उन्होंने कितने एकड़ में आलू बोया है। जब उन्हें पता लगता है कि इस किसान ने आलू नहीं किया है तो वह शादी करने से मुकर जाते हैं। इस वजह से किसान हर साल घाटे के बाद भी यहां आलू का क्षेत्रफल बढ़ा रहा है। जिसकी वजह से आलू के भाव गिर रहे हैं। अधिकारी ने कहा कि किसानों को आलू की जगह अन्य फसलाें की खेती अपनानी होगी तभी आलू के भाव अच्छे मिल सकेंगे अन्यथा किसान इसी तरह से अपने भाग्य पर आंसू बहाता रहेगा और आलू माटी के मोल बिकता रहेगा।

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