कांग्रेस स्वाधीनता के पूर्व और स्वतंत्रता के बाद अब तक लगातार अपनी एतिहासिक गलतियां दोहरा रही है। आश्चर्य इसमें यह है कि उसके बाद भी वह दावा करने से भी नहीं चूकती कि उसे ही देश की सबसे ज्यादा चिंता है। ताजा प्रकरण पूरी कांग्रेस पर प्रश्न खड़ा करता है। आखिर कांग्रेस अपनी भूलों से कुछ सीखना क्यों नहीं चाहती और भारत की संप्रभुता, अखण्डता एवं भौगोलिकता को लेकर इतनी लापरवाह और असंवेदनशील कैसे हो सकती है? वस्तुत: आज कांग्रेस ने कर्नाटक में जो गलती की, वह वास्तव में माफी योग्य नहीं है।
यहां कांग्रेस सोशल मीडिया पर एक पोस्ट करती है और उसमें जम्मू-कश्मीर को पाकिस्तान का हिस्सा बता देती है। इसके लिए जो नक्शा उसके द्वारा प्रयोग में लाया गाया, उसमें साफ तौर पर भारत के पाकिस्तान अधिकृत कश्मीर क्षेत्र को पाकिस्तान के नक्शे में दिखाया है। जैसा कि इस पोस्टर में लिखा गया और दिख रहा है कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के प्रति कांग्रेस पार्टी आक्रोश व्यक्त कर रही है, किंतु क्या अपनी विरोधी पार्टी एवं देश के प्रधानमंत्री का विरोध करते-करते इतना भी अंधा और विवेकहीन हुआ जा सकता है कि उसे यह भान ही न रहे कि जिस पाकिस्तान अधिकृत कश्मीर को वापस लेने के लिए भारत की संसद संकल्पबद्ध है, उसे वह नक्शे में पाकिस्तान का बताए।
वस्तुत: सोशल मीडिया में कन्नड़ भाषा में जारी की गई इस पोस्ट में प्रधानमंत्री मोदी और सरकार की आलोचना की गई, यह कहकर कि वह पाकिस्तान को अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष से मिलने वाली उधार राशि को रोकने में असफल रहे । हालांकि यह पोस्ट अब एक्स से हटा दी गई है। किंतु तब जब इस पर बहुत हल्ला मच गया और उसके बाद कांग्रेस को लगा कि मामला बड़ा हो गया है। अन्यथा तो कांग्रेस को जो नैरेटिव सही लगता है, वह प्रयास तो उसके माध्यम से यहां हुआ ही है। अब कांग्रेस की ओर से कहा जा रहा है, जैसा कि कर्नाटक कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष और उपमुख्यमंत्री डीके शिवकुमार ने कहा कि "एक छोटी सी गलती हुई थी। हमने उसे सुधार लिया है, सब कुछ हटा दिया गया है। किसी ने शरारत की थी।" लेकिन यहां विचार करने योग्य यह है कि यह गलती हुई कैसे? लोग आपके, व्यवस्था आपकी, सोशल मीडिया खाता कांग्रेस का अपना ही है, फिर यह कैसे हो गया?
दरअसल, इस संदर्भ में यही कहना होगा कि कांग्रेस इस देश को लेकर कभी गंभीर रही ही नहीं है। यदि रहती तो वह बार-बार देश को लेकर इस हद तक लापरवाह कभी नहीं हो सकती थी। जितना कि उसे देखा और परखा गया है। कांग्रेस ने देश के साथ कब-कब कितना गलत किया है, इसके उदाहरण देखेंगे तो आप क्रोधित हुए वगैर नहीं रह सकते। जिस राजनीतिक पार्टी के प्रति भारत के जनमानस ने वर्षों तक अपना भरोसा जताया, उसने भारत की स्वाधीनता के वक्त राष्ट्रीय आन्दोलन से ही गलतियां करने में कोई कोर-कसर नहीं छोड़ी है। सबसे पहले तो इस कांग्रेस ने मुस्लिम लीग के द्विराष्ट्र सिंद्धांत को स्वीकार करते हुए इस्लामिक ताकतों से डरकर भारत का बंटवारा करना स्वीकार किया था ।
इसके बाद जम्मू-कश्मीर मुद्दे को संयुक्त राष्ट्र में ले जाकर उसे अनसुलझा ही छोड़ दिया गया। तब नेपाल के तत्कालीन नेपाली महाराजा ने भारत में अपने विलय की इच्छा जताई तो उस विलय को मंजूरी न देकर भी एक बड़ा अपराध कांग्रेस का रहा। ऐसे ही संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद की स्थायी सदस्यता का विषय है, जिसमें कि स्वयं को मिलनेवाली सीट ठुकराकर उसे चीन को सौंप दी, जिसका कि आज भी भारत कई मोर्चों पर खामियाजा भुगत रहा है।
यह कांग्रेस ही थी जिसने चीनी-हिन्दी भाई-भाई का नारा दिया और चीन के भरोसे में धोखा खाकर न सिर्फ तिब्बत जोकि भारत और चीन के बीच एक दीवार था, उसे खोया, उसकी चीन मान्यता को स्वीकृति दी। चीन के हाथों 62 के युद्ध में भारत ने अपने ही हाथों जीता हुआ युद्ध हारा, साथ ही 43,000 वर्ग किलोमीटर जमीन जिसमें अक्साई चिन क्षेत्र भी शामिल है, वह चीन के कब्जे में जाने दिया। इसी तरह से कांग्रेस सरकार के वक्त पाकिस्तान से हुए सिंधु जल समझौता समेत अन्य अनुबंध रहे। 1972 के पाकिस्तान युद्ध में 90 हजार से अधिक उनके युद्धबंदियों के बदले पाकिस्तान अधिकृत कश्मीर को वापस भारत में शामिल कर देने का मुद्दा रहा हो या फिर आपातकाल, देश की सबसे बड़ी दूसरी जनसंख्या का अल्पसंख्यक के नाम पर तुष्टिकरण करते रहने की मानसिकता।
यहां तक कि भारत के आदर्श भगवान श्रीरामचंद्र जी के अस्तित्व को ही कोर्ट में हलफनामा देकर नकार देना रहा हो। यही वो कांग्रेस है जो पूर्व में आतंकवाद पर की गई कार्रवाईयों पर केंद्र की मोदी सरकार से सेना के पराक्रम के सबूत मांग रही थी। इस तरह के अनेक निर्णय कांग्रेस के भारत को कमजोर करने वाले रहे हैं। अनेक मोर्चों पर कांग्रेस के समय भारत को व्यापक स्तर पर नुकसान झेलना पड़ा है। इसके बाद भी ये कांग्रेस है कि कुछ न कुछ इस प्रकार का कदम उठा लेती है, जोकि देश के किसी भी देश भक्त को अपने देश के मान के अनुरूप नहीं लगता है। कर्नाटक में घटा आज का एपीसोड भी ऐसा ही है, जिसमें कश्मीर जैसे अंतरराष्ट्रीय महत्व के विषय पर कांग्रेस की ये बेहद आपत्तिजनक पोस्ट सामने आई है। निस्संदेह ऐसी घटनाओं से पड़ोसी शत्रु देश पाकिस्तान का ही मनोबल बढ़ाने का काम आज कांग्रेस इस तरह के कार्यों के जरिए बढ़ाती हुई नजर आ रही है।