बांदा,। उप्र के जनपद बांदा में स्थित ऐतिहासिक कालिंजर दुर्ग
से 18 किलोमीटर दूर मध्य प्रदेश के पन्ना जिले के ग्राम बृजपुर से लगभग 8
किलोमीटर दूरी पर बृहस्पति कुंड जलप्रपात है। यहां पर बहुत जल्द भारत का
तीसरा ग्लास ब्रिज बनने वाला है।
जानकारी के अनुसार, इसको लेकर
टेंडर जारी हो चुका है। ग्लास ब्रिज के इंजीनियर मौके पर पहुंच कर निरीक्षण
कर चुके हैं। यह वही स्थान है जहां गुरु बृहस्पति देव ने अपना आश्रम बनाया
था और यहीं पर यज्ञ किया था। जहां पर पहले ऋषि मुनियों के आश्रम हुआ करते
थे। राम पथ गमन का मार्ग भी यहीं से होकर जाता है। ग्लास ब्रिज बनने से
पर्यटन को बढ़ावा मिलेगा।
इंजीनियर्स ने किया निरीक्षण
जिला
प्रशासन ने यहां पर ग्लास ब्रिज बनाने का सरकार को प्रस्ताव रखा था, जिसकी
मंजूरी पूर्व में ही हो चुकी थी। जानकारी के अनुसार, टेंडर भी हो चुका है
और ग्लास ब्रिज बनाने को लेकर इंजीनियरों ने मौके पर निरीक्षण किया। बहुत
जल्द यहां पर भारत का तीसरा ग्लास ब्रिज बनने वाला है। बृहस्पति कुंड
जलप्रपात पर पर्यटकों की संख्या को देखते हुए पुरातत्व विभाग द्वारा
बृहस्पति कुंड के लिए एक भारी भरकम बजट स्वीकृत किया गया है। इसी तारतम्य
में बृहस्पति कुंड प्रांगण में कई विकास कार्य चल रहे हैं। जिसमें होटल,
पार्क रेलिंग एवं ग्लास ब्रिज तक पहुंचाने के लिए सुंदर रास्ता बनाया जा
रहा है। बता दें कि सेल्फी व्यू प्वाइंट भी पुरातत्व विभाग द्वारा बनाए जा
रहे हैं।
इस तरह होगा ग्लास ब्रिज
बृहस्पति कुंड जलप्रपात पर
बनने वाला भारत का तीसरा ग्लास ब्रिज कांच से बनाया जाएगा। जिसका टेंडर
लगभग 3 करोड़ में हो चुका है यह जमीन पर लगभग 18 फुट रहेगा और हवा में 11
फुट निकलेगा। इसमें लोगों को जाने के लिए सीमा निर्धारित होगी। करीब एक बार
में 8 से 10 लोग ही हवा में निकले हुए हिस्से पर जा सकते हैं।
बृहस्पति देव ने यज्ञ किया था
मध्य
प्रदेश के पन्ना जिले के मे स्थित कालिंजर किले के पास मे बृहस्पति कुंड
है जो कि पहाड़ी खेड़ा गांव से 06 किमी दूरी स्थित है। बृहस्पति कुंड का
सीधा सम्बन्ध देव गुरु बृहस्पति से हैं जिन्होंने इसी स्थान पर अपने आश्रम
की स्थापना किया और यहां यज्ञ भी किया करते थे। त्रेतायुग मे श्रीराम वनवास
के समय, इसी स्थान पर अनेक ऋषि मुनियों से मिलने के लिए आये थे। बृहस्पति
कुंड मे बधिन नदी की घाटी और झरने का सुन्दर नजारा देखने को मिलता है।
600 फीट ऊंचाई से बहता है झरना
बृहस्पति
कुंड घने-घने जंगल और ऊंची ऊंची पहाड़ी से घिरा हुआ क्षेत्र है और देखने
अद्भुत लगता है। 600 फीट ऊंचाई से गिरता हुआ झरना सुन्दर अद्वितीय लगता है।
600 फीट ऊंचाई होने के कारण इसे भारत का नियाग्रा जलप्रपात भी कहा जाता
है। बुन्देलखण्ड क्षेत्र की यह बहुत ही खुबसूरत जगह है।
शैल चित्रकला के प्रमाण
यहां
पर पौराणिक, ऐतिहासिक व सांस्कृतिक प्राचीन शैल चित्रकला के प्रमाण
पत्थरों पर मिले हैं। बृहस्पति कुंड तक पहुंचने के लिए गुफानुमा पहाड़ी
रास्तों से जाना पड़ता है। रास्ते में गुफा के अंदरूनी दीवारों पर शिकारी
और जनजातीय लोग व मानवीय गतिविधियों को दर्शाते हैं। साथ ही पूर्व ऐतिहासिक
काल में प्रयोग में लाये जाने वाले उपकरण जैसे - धनुष, भाला, तीर-कमान के
चित्र पत्थरों पर उकेरें गए हैं। इससे यह प्रमाणित होता है कि इन्हीं जैसी
घाटियों के आसपास मानव सभ्यता विकसित हुई होगी। बृहस्पति कुंड के आसपास की
पर्वत श्रृंखला विंध्य श्रृंखला का ही हिस्सा है। बृहस्पति कुंड जलप्रपात
का स्रोत बधिन नदी है। जिसका उद्गम स्थल पन्ना की पहाड़ी श्रृंखलाओं से है।
बधिन नदी से सात कुंडों का निर्माण होता है। बृहस्पति कुण्ड, सूरज कुण्ड,
गुफा कुण्ड, सुखा कुण्ड, हत्यारा कुण्ड, वेधा कुण्ड और पतालिया कुण्ड हैं।
बारिश
के दिनों में बृहस्पति कुण्ड की प्राकृतिक सुन्दरता और भी अद्वितीय हो
जाती है। ऐसा लगता है जैसे स्वर्ग धरती पर हो। गिरता हुआ झरने का पानी का
धुआंधार दृश्य सबके मन को मोह लेता है। बृहस्पति कुण्ड के आसपास के जंगलों
में अद्भुत व दुर्लभ आयुर्वेदिक जड़ी बूटी प्रचुर मात्रा मे पाई जाती हैं।
बृहस्पति कुंड पहुंचने के रास्ते
कालिंजर
किले से इस जलप्रपात की दूरी लगभग 18 किलोमीटर है। जबकि पन्ना सिटी से 38
किलोमीटर है। चित्रकूट क्षेत्र जलप्रपात 75 किलोमीटर की दूरी पर है। यदि आप
खजुराहो के रास्ते से यहां पहुंचना चाहते हैं, तो वहां से लगभग दूरी 81
किलोमीटर है।