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आजादी के 75 साल बाद भी आधा दर्जन गांवों की नहीं बदली तस्वीर



हमीरपुर,। बुंदेलखण्ड के हमीरपुर जिले में बीहड़ में बसे आधा दर्जन गांवों की तस्वीर आजादी के 75 साल बाद भी नहीं बदली। नदी किनारे बसे इन गांवों के हजारों बाशिन्दों को एक पुल की सौगात भी नहीं मिल सकी। विकास के पायदान में सबसे पिछड़े गांव बरसात के मौसम में कीचड़ और दलदल में तब्दील हो जाते हैं। और तो और नदी के उफनाने से गांव चारों ओर से बाढ़ के पानी से घिर जाते है।


जनपद के मौदहा तहसील क्षेत्र के तमाम गांव आज भी विकास के पायदान पर बहुत पिछड़े हैं। क्षेत्र के सिसोलर, गढ़ा, परेहटा, बैजेमऊ, किसवाही समेत आधा दर्जन गांवों की आज भी तस्वीर बदहाल है। ये गांव बीहड़ में चन्द्रावल नदी के आसपास बसे हैं। इन गांवों की हजारों आबादी बरसात के मौसम में अपने ही इलाकों में कैद होकर रह जाते हैं। क्योंकि चन्द्रावल नदी में आजादी के पचहत्तर साल बाद भी एक पुल नहीं बन सका।

किसवाही ग्राम पंचायत प्रधान अशोक सिंह के मुताबिक बरसात के समय सिसोलर क्षेत्र से गांव की ओर आने वाली सड़क खराब है। जिससे गांव की महिलाओं को प्रसव पीड़ा होने पर अस्पताल जाने में बड़ी दिक्कतें होती हैं। सड़क पूरी तरह से जर्जर है। मार्ग की हालत ठीक न होने के कारण लोग मजबूरी में चन्द्रावल नदी धार से आर पार होते हैं।

शिवसेना के प्रांतीय उपप्रमुख महंत रतन ब्रह्मचारी ने बताया कि किसवाही के पास सदर विधायक की पहल पर चन्द्रावल नदी में रपटा बनाने की तैयारी चल रही है। लेकिन इससे ग्रामीणों को बड़ी राहत नहीं मिलेगी।





पुल न बनने से बरसात में नदी के किनारे बीहड़ में बसे गांव बन जाते हैं टापू

मौदहा क्षेत्र के बीहड़ में बसे परेहटा, गढ़ा और किसवाही समेत आधा दर्जन गांवों की तस्वीर आजादी के 75 साल बीतने के बाद भी नहीं बदली। पिछले कई दशकों से ये गांव बदहाल हैं। ग्राम प्रधान समेत तमाम लोगों ने बताया कि चन्द्रावल नदी बारिश के मौसम में उफना जाती है। जिससे आसपास के बीहड़ के गांव टापू बन जाते हैं। बाढ़ के दौरान नदी, नाले और रपटे में कई फीट तक पानी भर जाता है जिससे इन बीहड़ के गांवों का सम्पर्क तहसील मुख्यालय से सम्पर्क टूट जाता है।





दो जिलों के गांवों की बदहाली को लेकर शिवसेना की आंदोलन करने की तैयारी

शिवसेना के प्रांतीय उप प्रमुख महंत रतन ब्रह्मचारी ने बताया कि हमीरपुर जिले के मौदहा तहसील क्षेत्र का भुलसी गांव आखिरी छोर में बसा है। भुलसी समेत दर्जनों गांवों के लोगों को दूरी पैलानी बांदा जाने में 85 किमी0 का अतिरिक्त चक्कर लगाना पड़ता है। उन्हाेंने बताया कि केन नदी में पुल बनाए जाने की मांग को लेकर कई बार धरना प्रदर्शन किया गया है। अब जल्द ही बड़ा आंदोलन सिसोलर क्षेत्र में करने की तैयारी है। उन्होंने बताया कि पुल बनने से दोनों जिलों के सौ गांवों की तकदीर बदल जाएगी।


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