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'हिंदी उर्दू को मिले ऐसे ठेकेदार, जिनके घर की आबरू अंग्रेजी अखबार'' - विजेंद्र शर्मा



कोलकाता, । देश की सांस्कृतिक राजधानी कही जाने वाली कोलकाता में "एक शाम, गजल के नाम" आयोजित किया गया, जिसमें मशहूर कवि और बीएसएफ अधिकारी विजेंद्र शर्मा ने अपने शानदार दोहों से श्रोताओं का दिल जीत लिया। शनिवार को राजस्थान सूचना केंद्र, राजस्थान पत्रिका और सदीमामा पत्रिका की ओर से आयोजित एक शाम गजल के नाम में बीएसएफ पूर्वी कमान (कोलकाता) में सेकंड इन कमांड हैडक्वाटर स्पेशल डीजी विजेंद्र शर्मा ने जब अपने दोहे पढ़ने शुरू किए तो दर्शकों की तालियां नहीं रुक रही थीं। खास तौर पर अखबारी जगत के दोहरे मापदंड पर तीखी तंज कसती उनकी कविता "हिंदी और उर्दू को मिले ऐसे ठेकेदार, जिनके घर की आबरू अंग्रेजी अखबार" पर हॉल में मौजूद करीब 50 कवियों ने खूब दाद दी। राष्ट्रवाद की भावना से लबरेज उनके दोहे पहरेदारी मुल्क की सौंप हमारे हाथ, और सांप्रदायिक सद्भावना से भरी उनकी कविता - तू कहता रोजा, जिसे मैं कहता उपवास... जैसी उनकी रचनाओं ने श्रोताओं का दिल जीत लिया। जब वह अपनी बुलंद आवाज में कविता पाठ कर रहे थे तब पूरा हॉल तालियों की आवाज से गूंज रहा था।



गजलों की शुरुआत सोहेल खान के शानदार गजल से हुई जिसमें उन्होंने गंगा-जमुनी तहजीब को पिरोते हुए शानदार गजल पेश की। करीब 22 कवियों ने कविताएं और गजल पाठ की जिनमें खास तौर पर पूर्व आईपीएस अधिकारी एम एस पूनिया की हिंदू मुस्लिम भाईचारे की कविता ने खूब तालियां बटोरी।

अन्य कवियों में केके दूबे, राज मिठौलिया, सेराज खान बातिश, शकील गोंडवी, रौनक, अभिग्यात और रश्मी पांडे की कविताओं ने भी दर्शकों की खूब तालियां बटोरी।

मशहूर कवि रामनाथ बेखबर कि राष्ट्रवाद से लबरेज कविता "अब कौन घास की रोटियां खाता है" पर श्रोताओं की वाह-वाही और तालियों से हॉल गूंज उठा। गजलों के उस्ताद कहे जाने वाले हलीम साबिर ने जब सामाजिक व्यवस्था और देश के मौजूदा हालात पर गजल पढ़नी शुरू की तो पूरा हॉल तालिया से गूंज उठा।

कार्यक्रम में राजस्थान सूचना केंद्र के सहायक निदेशक हिंगलाज दान रतनू ने भी राजस्थानी वीरों की वीरता पर कविता पाठ कर लोगों का दिल जीता। सदीमामा के संपादक जितांशु जितेश ने कार्यक्रम का काव्यमय संचालन किया और राजस्थान पत्रिका के स्थानीय संपादक विनीत शर्मा ने धन्यवाद ज्ञापन किया। कार्यक्रम में कविता पाठ करने वाले सभी रचनाकारों को राजस्थान सूचना केंद्र की ओर से विशेष उपहार भी दिए गए, जिसमें राजस्थानी संस्कृति की झलक थी।

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