पटना। बिहार में 13 नवम्बर को चार विधानसभा क्षेत्रों में उपचुनाव होने हैं। इस उपचुनाव में सबसे हॉट सीट भोजपुर जिले का तरारी विधानसभा सीट है, जहां से सुदामा प्रसाद माले से विधायक थे। उनके 2024 में आरा से लोकसभा सीट से जीत के बाद यहां उपचुनाव हो रहा है। तरारी में राजग-महागठबंधन उम्मीदवारों के बीच सीधा मुकाबला दिख रहा है। हालांकि, प्रशांत किशोर की जनसुराज ने भी यहां से उम्मीदवार उतारा है।
तरारी में राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (राजग) ने भाजपा के विशाल प्रशांत को उम्मीदवार बनाया है। विशाल बाहुबली सुनील पाण्डेय के बेटे हैं। आईएनडीआईए ने यहां से सीपीआईएमएल के राजू यादव को मेदान में उतारा है। प्रशांत किशोर की पार्टी 'जन सुराज' भी मैदान में हैं। यहां से उन्होंने किरण सिंह को टिकट दिया है। स्थानीय लोगों का कहना है कि राजग और आईएनडीआईए गठबंधन के बीच यहां सीधा मुकाबला हो गया है। तरारी विधानसभा सीट से भूमिहार मतदाता सबसे अधिक हैं। दूसरे स्थान पर पिछड़ी-अतिपिछड़ी जातियों के मतदाता हैं। ऐसे में यह देखना दिलचस्प होगा कि इन समुदायों के मत किस ओर जाएंगे।
स्थानीय लोगों के अनुसार, सुनील पाण्डेय ने इस क्षेत्र के लिए बहुत काम किया है। दूसरी ओर, राजू यादव को पिछड़ी जातियों का समर्थन मिलता दिख रहा है। तरारी विधानसभा सीट पर मतदाताओं की बात करें तो इस विधानसभा सीट पर 2 लाख 60000 मतदाता हैं, जिसमें 01 लाख 40 हजार पुरुष और 01 लाख 20 हजार महिला मतदाता हैं। जातिगत समीकरण की बात करें तो तरारी विधानसभा सीट पर भूमिहार जाति की सबसे अधिक आबादी है। विशाल प्रशांत भूमिहार जाति से ही आते हैं। तकरीबन 65 हजार भूमिहार मतदाता हैं। दूसरे स्थान पर ब्राह्मण वोटर हैं, जिनकी संख्या 30 हजार के आसपास है। राजपूत वोटरों की संख्या 20 हजार के करीब है। पिछड़ी और अति पिछड़े जाति की आबादी 45 से 50 हजार के बीच है। इसके अलावा यादव वोटर 30 हजार, बनिया 25 हजार, कुशवाहा 15 हजार और मुस्लिम वोटर 20 हजार के आसपास हैं।
वरिष्ठ पत्रकार और राजनीति जानकार अरुण पाण्डेय के मुताबिक, इस सीट पर सुनील पांडे की पकड़ अच्छी है। सुनील पांडे इस क्षेत्र में जमीन तौर पर काम करते आए हैं। ऐसे में माना जा रहा है कि सुनील पांडे की ओर जनता का झुकाव अधिक हो सकता है। वरिष्ठ पत्रकार प्रवीण बागी ने कहा कि सुनील पांडे के नेतृत्व में तरारी विधानसभा क्षेत्र में सम्मेलन भी आयोजित किया गया, जिसमें प्रदेश अध्यक्ष दिलीप जायसवाल शामिल हुए। वहां का वे प्रतिनिधित्व कर चुके हैं लेकिन अगड़ा-पिछड़े की राजनीति में यहां मुकाबला मुख्य रुप से विशाल और राजू यादव के बीच में ही दिख रहा है।
उल्लेखनीय है कि राजग के साथ सबसे सकारात्मक बात यह है कि गठबंधन के पांच घटक दल मजबूती से एकजुटता दिखा रहे हैं। महागठबंधन का 4 में से तीन सीट है, इसलिए परेशानी महागठबंधन की बढ़ी हुई है। क्योंकि, इस चुनाव का असर आने वाले विधानसभा चुनाव पर भी पड़ना तय है। जो भी गठबंधन अधिक सीट जीतेगा उसका हाथ ऊपर होगा।