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राजस्थान हाईकोर्ट : वायुसेना कर्मचारी को कैट के बाद हाईकोर्ट से भी राहत


हाईकोर्ट ने खारिज की केंद्र की याचिका, कहा- कैट के पारित आदेश में कोई गलती नहीं

जोधपुर। राजस्थान हाईकोर्ट ने जोधपुर एयरफोर्स स्टेशन के सिविलियन कर्मचारी प्रेमलाल के पक्ष में फैसला सुनाते हुए केंद्र सरकार की याचिका खारिज कर दी। जस्टिस विनीत कुमार माथुर और जस्टिस बिपिन गुप्ता की खंडपीठ ने यह आदेश पारित किया। इससे पहले कैट से भी वायुसेना कर्मचारी के पक्ष में फैसला दिया गया था।

हाईकोर्ट ने दोनों पक्षों की दलीलें सुनने और 5 जनवरी 2018 के आदेश का अध्ययन करने के बाद पाया कि नियुक्ति के बाद प्रेमलाल का वेतन फंडामेंटल रूल के प्रावधानों के अनुसार 970 रुपये पर तय होना चाहिए था। चूंकि उन्हें सही वेतनमान नहीं दिया गया था, इसलिए उन्होंने अपनी शिकायत के निवारण के लिए न्यायाधिकरण का दरवाजा खटखटाया। कोर्ट ने कहा कि कैट ने विस्तृत तथ्यों पर विचार करने के बाद मूल आवेदन को स्वीकार किया और 4 दिसंबर 1989 से 970 रुपये पर वेतन तय करने का निर्देश दिया, जो प्रावधानों के अनुरूप है। देरी के मुद्दे पर हाईकोर्ट ने कहा कि कैट ने पहले से ही मूल आवेदन को इस शर्त के साथ स्वीकार किया है कि वास्तविक लाभ मूल आवेदन दाखिल करने की तारीख से एक वर्ष पूर्व यानी मई 2011 से दिया जाएगा और केवल काल्पनिक लाभ 4 दिसंबर 1989 से दिया जाएगा।

कोर्ट ने कहा कि यदि किसी व्यक्ति का वेतनमान गलत तरीके से तय किया गया है, तो सबसे पहले विभाग को स्वयं इसे सुधारना चाहिए और यदि नहीं, तो अदालत द्वारा, लेकिन न्याय को संतुलित करते हुए वास्तविक लाभ उस तारीख से प्रतिबंधित किया जाना चाहिए, जब व्यक्ति ने अदालत का दरवाजा खटखटाया हो।

हाईकोर्ट ने माना कि न्यायाधिकरण ने प्रेमलाल को देरी से न्यायाधिकरण पहुंचने के कारण राहत को पर्याप्त रूप से प्रतिबंधित कर दिया है। इस प्रकार कोर्ट ने निष्कर्ष निकाला कि कैट द्वारा 5 जनवरी 2018 को पारित आदेश में कोई गलती नहीं की गई है। इसलिए हाईकोर्ट ने केंद्र सरकार की रिट याचिका को खारिज कर दिया।

दरअसल हाईकोर्ट कॉलोनी निवासी प्रेमलाल, वर्तमान में 32 विंग एयरफोर्स, एयरफोर्स स्टेशन जोधपुर में सिविलियन एमटीडी के पद पर कार्यरत हैं। उनकी नियुक्ति 4 दिसंबर 1989 को 950-1400 रुपये के वेतनमान में हुई थी। हालांकि नियुक्ति के समय उनका वेतन फंडामेंटल रूल के प्रावधानों के अनुसार 970 रुपये तय होना चाहिए था, लेकिन विभाग ने उनका वेतन सही तरीके से तय नहीं किया। इस गलती के खिलाफ प्रेमलाल ने वर्ष 2012 में केंद्रीय प्रशासनिक न्यायाधिकरण (कैट) जोधपुर में आवेदन दाखिल किया। केंद्रीय प्रशासनिक न्यायाधिकरण जोधपुर ने 5 जनवरी 2018 को प्रेमलाल के आवेदन को स्वीकार करते हुए विभाग को निर्देश दिया कि उनका वेतन 4 दिसंबर 1989 से 970 रुपये पर फंडामेंटल रूल के प्रावधानों के अनुसार तय किया जाए। हालांकि, देरी से कैट में आने के कारण वास्तविक बकाया राशि का भुगतान आवेदन दाखिल करने के एक वर्ष पूर्व यानी मई 2011 से ही दिया जाना तय किया गया।

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