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महाकुम्भ : मौनी अमावस्या पर अखाड़ों का दूसरा अमृत स्नान शुरू, आसमान से बरसे फूल


महाकुम्भ नगर। तीर्थराज में महाकुम्भ की भव्य शुरुआत हो चुकी है। बुधवार को मौनी अमावस्या के दिन महाकुम्भ में दूसरा अमृत स्नान शुरू हो चुका है। मंगलवार देर रात को हुए हादसे के बाद अखाड़ों ने पारम्परिक तरीके से अमृत स्नान (शाही स्नान) की बजाय सादगी से अमृत स्नान करने का निर्णय लिया था। गौरतलब है कि मंगलवार की रात को संगम नोज में अचानक आई भीड़ से भगदड़ मची, जिसमें कई श्रद्धालु हताहत और घायल हुए।
दोपहर 2 बजे अखाड़ों के आचार्य महामण्डलेश्वर, संत और नागा साधु पैदल ही संगम की ओर चल दिये। संगम के रास्ते पर तेजी से बढ़ते साधु-संतों पर हेलीकॉप्टर से फूलों की वर्षा की गई।
गौरतलब है कि मंगलवार को अखाड़ों के स्नान का क्रम और समय निर्धारित किया गया था। संगम पर हुए हादसे के बाद निर्धारित कार्यक्रम में बदलाव किया गया। पूर्व निर्धारित समय के साथ अखाड़ों के स्नान की शुरूआत प्रातः 5 बजे होनी थी।
संतों का कहना है कि कुम्भ की परम्पराओं के निर्वहन के लिये अखाड़ों के देवताओं को स्नान कराया गया है। सभी अखाड़ों से 50-100 की संख्या के बीच संतों ने स्नान में भाग लिया।
ध्वज-निशान पताका और अस्त्र-शस्त्र के साथ आगे बढ़े अखाड़े
ध्वज-निशान पताका, पारम्परिक वाद्य यंत्र, अस्त्र-शस्त्र के साथ अखाड़े अमृत स्नान के लिये संगम की ओर जा रहे हैं। आचार्य महामंडलेश्वर व मंडलेश्वर भव्य रथ पर आसीन हैं। हादसे के बाद अमृत स्नान का वैभव भले ही थोड़ा फीका दिखा हो, लेकिन आध्यत्मिकता और परंपरा का रंग रंचमात्र भी फीका नहीं पड़ा। महाकुम्भ मेले में अमृत स्नान के लिये संगम की ओर जाते हुए संत-साधु और अखाड़ों का वैभव देखने के लिये श्रद्धालु घंटों प्रतीक्षा करते दिखे।
हर हर महादेव के उद्घोष से गूंजा वातावरण
संगम की ओर बढ़ते नागा साधुओं के ‘हर हर महादेव’ के गगन भेदी उद्घोष से वातावरण में एक नयी ऊर्जा संचरित हो गई। इसी ऊर्जा में देर रात हुए हादसे की उदासी, बेचैनी और नीरसता कहीं विलोप होती दिखी। यही सनातन की खूबसूरती है कि वो निराशा और उदासीनता को प्रसन्नता, उल्लास और सकारात्मक में बदल देता है। संगम क्षेत्र के वातावरण में आध्यात्मिक ऊर्जा का ऐसा संचार हुआ कि महाकुम्भ का क्षेत्र पुनः अपनी रौनक में आता दिखा।
एक घंटे में सात अखाड़ों ने स्नान किया
अमूमन एक अखाड़े को स्नान करने के लिये करीब 1 घंटे समय दिया जाता है। लेकिन मौनी अमावस्या में हुए हादसे के बाद स्नान का क्रम तो बदला ही, वहीं एक घंटे में सात अखाड़ों ने पवित्र संगम में आस्था की डुबकी लगाकर भी कीर्तिमान स्थापित किया। स्नान करने के बाद अखाड़ों ने अपने शिविरों का रूख किया। शेष अखाड़ों का स्नान जारी है।
कुल 13 अखाड़े
हमारे देश में कुल 13 मान्यता प्राप्त अखाड़े हैं। इनमें से सात शैव, तीन वैष्णव व तीन उदासीन (सिक्ख) अखाड़े रहेंगे। इसके अलावा जूना अखाड़ा में समाहित हो चुका किन्नर अखाड़ा भी कुंभ का साक्षी बन गया है।
जूना अखाड़ा (शैव), निरंजनी अखाड़ा (शैव), श्री पंचायती अखाड़ा निरंजनी, महानिर्वाणी अखाड़ा (शैव), आवाहन अखाड़ा (शैव), अटल अखाड़ा (शैव), आनंद अखाड़ा (शैव), अग्नि अखाड़ा (शैव), पंच अग्नि, दिगंबर अखाड़ा (वैष्णव), निर्वाणी अखाड़ा (वैष्णव), निर्मोही अखाड़ा (वैष्णव), निर्मल अखाड़ा (सिक्ख), बड़ा उदासीन अखाड़ा (सिक्ख), नया उदासीन अखाड़ा (सिक्ख)।

हादसे के बाद स्थिति नियंत्रण में

महाकुम्भ मेले में भगदड़ के बाद अखाड़े अमृत स्नान कर रहे हैं। अभी स्थिति नियंत्रण में है। पुलिस भीड़ को व्यवस्थित करने की हर संभव कोशिश कर रही है। आम लोगों के लिए भी स्नान की कई घाटों पर व्यवस्था की गई है। प्रशासन का अनुरोध है कि आप जहां पर भी हैं वहीं स्नान का लाभ ले लीजिए। संगम नोज की तरफ न जाएं। मेला क्षेत्र में हुए हादसे के बाद स्थिति सामान्य है। सड़क पर फिर से भारी भीड़ देखी जा रही है।

हादसे पर संतों ने जताया दुख
संगम नोज पर हुये हादसे के बाद संतों ने हताहतों के लिए अपनी शोक संवेदनाएं व्यक्त की। और अमृत स्नान के पूर्व निर्धारित कार्यक्रम में बदलाव करते हुये परम्पराओं का निर्वहन सादगी से संपन्न किया।

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