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बुधवार व्रत: सुख-समृद्धि के लिए ऐसे करें विधि-विधान से गणेश जी की पूजा


नई दिल्ली। पौष माह के कृष्ण पक्ष की षष्ठी तिथि 10 दिसंबर दोपहर 1 बजकर 46 मिनट तक रहेगी। इसके बाद सप्तमी तिथि शुरू हो जाएगी। इस तिथि को सूर्य वृश्चिक राशि में और चंद्रमा सिंह राशि में रहेंगे। द्रिक पंचांग के अनुसार, बुधवार के दिन अभिजीत मुहूर्त नहीं है और राहुकाल का समय दोपहर 12 बजकर 14 मिनट से शुरू होकर 1 बजकर 32 मिनट तक रहेगा।

 इस तिथि पर कोई विशेष पर्व नहीं है, लेकिन वार के हिसाब से आप बुधवार का व्रत रख सकते हैं। स्कंद पुराण में उल्लेख मिलता है कि अगर किसी जातक के जीवन में बुध ग्रह संबंधित दोष रहते हैं, तो वे बुधवार का व्रत रख सकते हैं। इसके अलावा, इस दिन गजानन महाराज की विधि-विधान से पूजा करने और व्रत रखने से बुद्धि, ज्ञान और सुख-समृद्धि में वृद्धि होती है। पौराणिक ग्रंथों में इस दिन विधि-विधान से पूजा करने की विधि बताई गई है, जिसके अनुसार इस व्रत को सिर्फ 12 बुधवार ही किया जाता है। इसी के साथ ही घर में मांस-मदिरा का सेवन, झूठ बोलना, किसी का अपमान करना, बाल या दाढ़ी कटवाना और तेल मालिश करना वर्जित माना गया है।

 व्रत शुरू करने के लिए जातक ब्रह्म मुहूर्त में उठकर नित्य कर्म स्नान आदि करने के बाद साफ वस्त्र धारण करें। फिर, मंदिर या पूजा स्थल को साफ करें और पूजा स्थल में एक चौकी रखें। उस पर कपड़ा बिछाकर पूजन सामग्री रखें, फिर ईशान कोण (उत्तर-पूर्व दिशा) की ओर मुख करके इस आसन पर बैठें। 

इसके बाद भगवान गणेश को पंचामृत (जल, दूध, दही, शहद, घी) और जल से स्नान कराने के पश्चात सिंदूर और घी का लेप लगाएं। जनेऊ और रोली के बाद कम से कम तीन दूर्वा और पीले, लाल पुष्प अर्पित करने चाहिए। साथ ही बुध देव को हरे रंग के वस्त्र और दाल भी चढ़ानी चाहिए। लड्डू, हलवा, या मीठी चीजों का भोग लगाने के बाद श्री गणेश और बुध देव के मंत्रों का जाप करना चाहिए। फिर व्रत कथा सुनें और उनकी पूजा करें। इसके बाद श्री गणेश व बुध देव की आरती करनी चाहिए।

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