सीकर । खाटूश्याम बाबा का लक्खी मेला शुरू हो चुका है। देर रात
से बाबा की झलक पाने के लिए यहां कतारें लगना शुरू हो गई। सोमवार सुबह सात
बजकर 45 मिनट पर बाबा की श्रृंगार आरती हुई। 21 मार्च तक चलने वाले इस
लक्खी मेले में बाबा का श्रृंगार खास रहेगा। 10 दिन तक बाबा को फूलों का
श्रृंगार किया जाएगा। इसके लिए खासतौर पर दिल्ली से फूल मंगवाए गए हैं।
करीब 105 कारीगर इस व्यवस्था में जुटे हुए हैं।
संध्या आरती शाम
6.45 पर होगी। भक्तों को बाबा के दर्शन आज रात 10 बजे तक होंगे। इसके बाद
रात में दर्शन बंद कर दिए जाएंगे, जो 12 मार्च को शाम 6 बजे शुरू होंगे।
अमावस्या के बाद बाबा श्याम का तिलक किया जाता है। इसलिए मंदिर में दर्शन
बंद रखे जाएंगे। रींगस से खाटूश्यामजी मंदिर तक नो व्हीकल जोन है। यहां से
पैदल श्रद्धालु ही जा सकेंगे। खास सेवाओं के व्हीकल जा रहे हैं। तोरण द्वार
से डायवर्जन कर वाहनों को खाटू तक जाने दिया जा रहा है। खाटूश्यामजी के
दर्शन करने के लिए हर दिन भक्तों की भारी भीड़ उमड़ती है। इस मेले में
देश-दुनिया से लोग घूमने आते हैं। माना जाता है कि फाल्गुन में बाबा खाटू
श्याम के दर्शन करने से सभी मनोकामनाएं पूरी होती हैं। मेले में खाटू श्याम
बाबा के दरबार की झांकियां सजाई गई है। साथ ही मंदिर के गर्भगृह को भव्य
रूप से सजाया गया है। दस दिनों तक चलने वाले इस मेले में देश के कोने-कोने
से लाखों भक्त शामिल होंगे।
लक्खी मेला इसलिए लगता है, क्योंकि जब
बर्बरीक से भगवान श्री कृष्ण ने शीश मांगा था, तो बर्बरीक ने पूरी रात्रि
भजन किया और फाल्गुन माह के शुक्ल द्वादशी को स्नान कर सच्चे मन से पूजा
की। इसके बाद बर्बरीक ने भगवान श्री कृष्ण को अपना शीश काटकर दे दिया।
मान्यता है कि इसी वजह से हर साल लक्खी मेला लगता है। यदि कोई श्रद्धालु
फाल्गुन माह में बाबा खाटू श्याम के दर्शन और माथा टेकने आता है तो बाबा
शयाम प्रसन्न होकर उस भक्त की सभी मनोकामनाएं पूरी करते हैं। एक विशेष बात
आपको बता दें कि लक्खी मेला के दौरान श्याम नगरी पूरी तरह से बाबा श्याम के
रंग में रंगी होती है। लक्खी मेले को देखते हुए पुलिस -प्रशासन पूरी तरह
चौकन्ना है। बाबा के दर्शन में किसी भी प्रकार की विघ्न-बाधा न आए। इसके
लिए खास प्रबंध किए गए है। जो लोग खाटू श्याम मेले में निशान उठाते हैं,
उन्हें रिंग्स के रास्ते से होते हुए बाबा श्याम की पैदल यात्रा करनी होती
है। खाटू श्याम को सुजानगढ़ का निशान चढ़ाने के बाद मेले का समापन होता है।
इस मेले में आठ फीट का ऊंचा निशान ले जाने की अनुमति है। इस साल लक्खी
मेला में भक्तों की भारी संख्या में भीड़ उमड़ने की संभावना है।