सोमवार तड़के चार बजे भस्म आरती में मनाया जाएगा धुलेंड़ी पर्व
उज्जैन। देशभर में होली का पर्व धूमधाम से मनाया जा रहा है।
मध्य प्रदेश भी इससे अछूता नहीं है। परम्परा के अनुसार, आज (रविवार)
फाल्गुन पूर्णिमा पर देश में सबसे पहले उज्जैन में विश्व प्रसिद्ध
ज्योतिर्लिंग भगवान महाकालेश्वर के मंदिर में होलिका दहन होगा। वहीं,
सोमवार को धुलेंड़ी का पर्व भी देश में सबसे पहले महाकाल मंदिर में ही
मनाया जाएगा।
दरअसल, देश में सभी पर्वों की
शुरुआत भगवान महाकालेश्वर के मंदिर से ही होती है। यहां सभी पर्व धूमधाम
से मनाए जाते हैं और यह परम्परा वर्षों से चली आ रही है। इस बार भी आज
फाल्गुन पूर्णिमा पर शाम 7.30 बजे महाकालेश्वर मंदिर में होलिका किया जाएगा
तथा अगले दिन सोमवार, 25 मार्च को धुलेंडी पर्व मनाया जाएगा। इस दिन तड़के
चार बजे भस्म आरती में अवंतिकानाथ भक्तों के साथ हर्बल गुलाल से होली
खेलेंगे। वहीं, 26 मार्च से गर्मी की शुरुआत मानते हुए भगवान को ठंडे जल से
स्नान कराने का क्रम शुरू होगा। प्रतिदिन होने वाली पांच में से तीन आरती
का समय भी बदलेगा।
महाकालेश्वर मंदिर समिति
के प्रशासक संदीप कुमार सोनी ने बताया कि हर साल की तरह इस बार भगवान
महाकाल के मंदिर में होली का पर्व धूमधाम से मनाया जाएगा। मंदिर परिसर में
श्री ओंकारेश्वर मंदिर के सामने आज शाम होली बनाई जाएगी और भगवान महाकाल की
संध्या आरती के बाद पुजारी वैदिक मंत्रोच्चार के साथ होलिका का पूजन
करेंगे। पुजारी परिवार की महिलाओं के द्वारा भी होलिका का पूजन किया जाएगा।
इसके बाद होलिका का दहन होगा। फिर फाग उत्सव मनाया जाएगा। अगले दिन सोमवार
को धुलेंडी पर भस्म आरती में रंगोत्सव मनाया जाएगा। पुजारी, पुरोहित व
भक्त भगवान महाकाल के साथ होली खेलेंगे।
होली पर इस बार का मुहूर्त
ज्योतिषाचार्य
पंडित विनोद गौतम के अनुसार, इस बार फाल्गुन पूर्णिमा तिथि रविवार प्रातः
9.57 से प्रारंभ हो रही है, जो 25 मार्च 2024 सोमवार को दोपहर 12.30 तक
रहेगी। 25 मार्च 2024 को धुलंडी रहेगी, होलिका का पूजन रविवार को करना शुभ
है। रविवार को प्रातः 9.57 से भद्रा रहेगी, जो रविवार रात्रि 11.13 तक
रहेगी। भद्रा के बाद होलिका का पूजन एवं दहन करना संपूर्ण विश्व के लिए शुभ
रहेगा। भद्रा रहित होलिका दहन करने की शास्त्र आज्ञा देता है। अतः रात्रि
11.13 के बाद ही होलिका का पूजन करें।
बाबा महाकाल का अभिषेक पूजन के बाद हुआ दिव्य श्रृंगार
महाकालेश्वर
मंदिर में रविवार तड़के चार बजे मंदिर के कपाट खोले गए। सबसे पहले भगवान
महाकाल का जल से अभिषेक किया गया। इसके बाद दूध, दही, घी, शहद, फलों के रस
से बने पंचामृत से अभिषेक पूजन किया। भगवान महाकाल का दिव्य श्रृंगार किया
गया। महाकाल को भस्म चढ़ाई गई। भगवान महाकाल ने शेषनाग का रजत मुकुट, रजत
की मुण्डमाल, रुद्राक्ष की माला के साथ सुगंधित पुष्प से बनी फूलों की माला
धारण। फल और मिष्ठान का भोग लगाया। भस्म आरती में सैकड़ों श्रद्धालुओं ने
दर्शन कर पुण्य लाभ लिया। लोगों ने नंदी महाराज का दर्शन कर उनके कान के
समीप जाकर अपनी मनोकामनाएं पूर्ण होने का आशीर्वाद मांगा। श्रद्धालुओं ने
बाबा महाकाल के जयकारे भी लगाए। इस दौरान पूरा मंदिर बाबा की जयकारे से
गुंजायमान हो गया।