उज्जैन,। विश्व प्रसिद्ध बारह ज्योतिर्लिंगों में से एक
दक्षिणमुखी भगवान महाकालेश्वर की श्रावण-भाद्रपद माह में निकलने वाली
सवारियों के क्रम में श्रावण माह के पहले दिन आज सोमवार को पहली सवारी
निकाली जाएगी। इस दौरान भगवान महाकाल पालकी में सवार होकर नगर भ्रमण करेंगे
और अपने भक्तों को मनमहेश स्वरूप में दर्शन देंगे।
महाकालेश्वोर
मंदिर प्रबंध समिति के प्रशासक मृणाल मीना ने बताया कि भगवान महाकालेश्वर
की प्रथम सवारी ठाठ-बाट से परम्परागत मार्ग से आज निकाली जाएगी। भगवान
महाकालेश्वर के मनमहेश स्वरूप का विधिवत पूजन-अर्चन महाकाल मन्दिर के सभा
मण्डप में होने के पश्चात शाम चार बजे भगवान मनमहेश पालकी में विराजित होकर
नगर भ्रमण पर निकलेंगे।
उन्होंने बताया कि मन्दिर के मुख्यद्वार
पर सशस्त्र पुलिस बल के जवान पालकी में विराजमान भगवान मनमहेश को सलामी
(गार्ड ऑफ ऑनर) देंगे। भगवान महाकालेश्वर की पालकी मन्दिर से निकलने के बाद
महाकाल रोड, गुदरी चौराहा, बक्षी बाजार और कहारवाड़ी से होती हुई रामघाट
पहुंचेगी, जहां शिप्रा नदी के जल से भगवान का अभिषेक और पूजन-अर्चन किया
जायेगा। इसके बाद सवारी रामानुजकोट, मोढ़ की धर्मशाला, कार्तिक चौक, खाती का
मन्दिर, सत्यनारायण मन्दिर, ढाबा रोड, टंकी चौराहा, छत्रीचौक, गोपाल
मन्दिर, पटनी बाजार, गुदरी बाजार से होती हुई पुन: श्री महाकालेश्वकर
मन्दिर पहुंचेगी।
प्रशासक मृणाल मीना का कहना यह भी था कि
मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव की मंशानुरूप जनजातीय लोक कला एवं बोली विकास
अकादमी मध्य प्रदेश संस्कृति परिषद के माध्यम से भगवान महाकालेश्वर की
सवारी में जनजातीय कलाकारों का दल भी सहभागिता करेगा। धार के भील जनजातीय
भगोरिया नृत्य के सदस्यों का दल सवारी में प्रस्तुति हेतु सम्मिलित होगा।
उन्होंने बताया कि दो चलित रथ के माध्यम से बाबा महाकाल की सवारी का लाइव
प्रसारण किया जाएगा। इस चलित रथ की विशेषता यह है कि इसमें लाइव बॉक्स
रहेगा, जिससे लाइव प्रसारण निर्बाध रूप से होगा। उन्हाेंने श्रद्धालुओं से
अपील की कि कृपया सवारी मार्ग में सड़क की ओर व्यापारीगण भट्टी चालू न रखें
और न ही तेल का कड़ाव रखें। दर्शनार्थी सवारी की उल्टी दिशा में न चलें और
सवारी निकलने तक अपने स्थान पर खड़े रहें। मंदिर के जिस मुख्यद्वार से
राजाधिराज महाकाल की पालकी नगर भ्रमण के लिए निकलेगी, केवल पारंपरिक नौ भजन
मंडलियां व झांझ डमरू दल को सवारी में शामिल किया जाएगा।