मीरजापुर। शारदीय नवरात्र की षष्ठी तिथि को श्रद्धालुओं ने मां विंध्यवासिनी के कात्यायनी स्वरूप का दर्शन पूजन किया। विंध्य दरबार में मंगलवार को हजारों की संख्या में श्रद्धालुओं ने दर्शन किया। अष्टभुजा और कालीखोह मंदिरों पर भी भक्तों की भारी भीड़ रही। मां के दर्शन पूजन के लिए देश के विभिन्न प्रदेश के दर्शनार्थी बड़ी संख्या में विंध्यधाम पहुंचे थे। मां का दर्शन पूजन करने से पूर्व भक्तों ने गंगा स्नान कर मंदिर परिसर में दर्शन किया।
मां विंध्यवासिनी के जयकारे से विंध्यधाम अनवरत गूंजता रहा। तीर्थ पुरोहितों का मानना है कि शाम तक श्रद्धालुओं की संख्या में बढ़ोतरी हो सकती है। मां विंध्यवासिनी के दर्शन पूजन के लिए दूर-दराज के भक्तों का मध्य रात्रि के बाद से ही विंध्यधाम में पहुंचने का सिलसिला शुरू हो गया था। विभिन्न वाहनों से विंध्यधाम पहुंचे भक्तों ने भोर में गंगा स्नान करने के बाद मां के दर्शन पूजन के लिए मंदिर की तरफ जाने वाले मार्गों पर लाइन में लग गए। भक्त हाथों में प्रसाद व माला-फूल लेकर मंदिर के दोनों प्रवेश द्वार एवं झांकी पर भोर में ही खड़े हो गए थे।
मंगला आरती के बाद मंदिर का कपाट खुलते ही भक्त मां के चरणों में मत्था टेकने के लिए गर्भगृह में पहुंच गए। मां का विधि-विधान से दर्शन पूजन कर भक्त मंदिर परिसर में स्थित अन्य देवी-देवताओं का दर्शन पूजन कर हवन कुंड की परिक्रमा की। अष्टभुजा और कालीखोह मंदिरों में दर्शन पूजन के लिए चार बजे भोर से ही भक्तों की लाइन लग गई थी। मां का दर्शन पूजन कर भक्त त्रिकोण परिक्रमा में जुट गए।
मंगला आरती में शामिल भक्त को नहीं होती आर्थिक तंगी
मां विंध्यवासिनी की मंगला आरती को लेकर मान्यता है कि इस आरती में शामिल होने वाले भक्त कभी भी आर्थिक तंगी का सामना नहीं करते। मां के दिव्य रूप के दर्शन से न केवल सभी अमंगल दूर होते हैं, बल्कि भक्तों के जीवन में सुख-समृद्धि और खुशहाली का संचार होता है। इस विशेष आरती के दर्शन करने के लिए भक्त देश के कोने-कोने से मां विंध्यवासिनी के दरबार में आते हैं।