गोपेश्वर। यदि आप स्कूलों में पड़ने वाले ग्रीष्म कालीन अवकाश के
दिनों में बदरीनाथ धाम की यात्रा का मन बना रहे हैं तो उसके साथ इसी
क्षेत्र में पड़ने वाले अन्य पंच बद्री धामों के भी दर्शन कर अभिभूत हो
सकते हैं। भू-बैकुंठ श्री बदरीनाथ धाम की यात्रा निर्बाध रूप से जारी है।
पिछले पांच दिनों से धाम में लगातार श्रद्धालुओं की संख्या बढ़ने से चारधाम
यात्रा मार्ग, बदरीनाथ में स्थित होटल व्यवसायी और अन्य कारोबारियों के
चेहरे खिल उठे हैं। तीर्थयात्रियों की चहल पहल से पूरे यात्रा मार्ग पर
रौनक बनी हुई है।
चमोली में ही स्थित है पांचों बद्री धाम-
देवभूमि
उत्तराखंड के जनपद चमोली में ही पंच बद्री धाम स्थित है। तीर्थयात्री
बदरीनाथ के साथ चमोली में ही नारायण के अन्य चार बद्री धामों के भी दर्शन
कर सकते हैं। पंच बद्री धामों में हर धाम का विशेष महत्व है। बदीनाथ आ रहे
हैं तो नारायण के पांचों धामों के दर्शन कर पुण्य अर्जित करें।
श्री बद्रीनाथ- इस स्थान पर भगवान विष्णु ने तपस्या की थी। इस मंदिर की स्थापना स्वयं आदि गुरु शंकराचार्य ने की थी।
आदिबद्री-
पंच बद्री में दूसरे स्थान पर है आदि बद्री। आदि बद्री को पंच बद्री में
सबसे पुराना माना जाता है। इस मंदिर में भगवान विष्णु की काले पत्थर से बनी
प्राचीन प्रतिमा स्थापित है। ये मूर्ति ध्यान अवस्था में है। मूर्ति के
चारों ओर हाथी हैं, जो शक्ति और स्थिरता का प्रतीक माने जाते हैं। आदिबद्री
मंदिर के लिए कर्णप्रयाग से गैरसैंण सड़क मार्ग पर वाहन से करीब 10
किलोमीटर दूरी तय कर पहुंचा जाता है।
वृद्ध बदरी- ये मंदिर भी
चमोली में है। इस मंदिर का वर्णन अनेक हिंदू धर्म ग्रंथों में मिलता है।
यहां भी भगवान विष्णु की काले पत्थर की मूर्ति है। वृद्ध बद्री को मोक्ष
प्राप्ति के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण माना जाता है। ऐसी मान्यता है कि वृद्ध
बद्री के दर्शन मात्र से ही व्यक्ति को मोक्ष की प्राप्ति हो जाती है।
वृद्ध बद्री मंदिर बदरीनाथ यात्रा मार्ग पर अणीमठ में स्थित है, जो जोशीमठ
से सात किलोमीटर पीछे है।
योग-ध्यान बद्री- ये मंदिर पंच बद्री
में चौथे स्थान पर है। ये मंदिर भी चमोली में ही है। योग-ध्यान बद्री को
भगवान बदरीनाथ का शीतकालीन निवास भी कहा जाता है। ऐसी मान्यता है कि शीतकाल
के दौरान जब मुख्य बदरीनाथ मंदिर के कपाट बंद हो जाते हैं तो वे यहां आकर
निवास करते हैं। इस मंदिर का वर्णन स्कंद पुराण और महाभारत में भी मिलता
है। यह मंदिर बदरीनाथ यात्रा मार्ग पर पांडुकेश्वर में स्थित है।
भविष्य बद्री-ये मंदिर भी चमोली में है। भविष्य बद्री का अर्थ है भविष्य का
बदरीनाथ। मान्यता है कि कलयुग के अंत में जब मुख्य बदरीनाथ मंदिर जाने के
रास्ते बंद हो जाएंगे तो भक्त यहीं पर दर्शन कर बदरीनाथ के दर्शन का फल
प्राप्त कर सकेंगे। यहां भी भगवान विष्णु की काले पत्थर की मूर्ति है।
भविष्य बद्री के लिए जोशीमठ से करीब आठ किलोमीटर सड़क मार्ग से पहुंचा जाता
है।
चमोली में पंच बदरी के साथ ही पंच केदार में शामिल चतुर्थ केदार रुद्रनाथ और पंचम केदार कल्पेश्वर धाम भी मौजूद हैं।
रुद्रनाथ-
पंच केदारों में चतुर्थ केदार रुद्रनाथ में भगवान शिव के दक्षिणमुखी एकानन
मुख के दर्शन होते हैं। मंदिर तक पहुंचने के लिए तीर्थयात्रियों को
गोपेश्वर पहुंचना होता है। जहां से तीन किलोमीटर की दूरी वाहन से पार कर
सगर गांव पहुंचा जाता है। जहां से तीर्थयात्रियों को 19 किलोमीटर की पैदल
दूरी तय करनी होती है। यात्रा जहां आस्थावान तीर्थयात्रियों के लिए बेहतर
है, वहीं फोटोग्राफर, वनस्पति विज्ञानियों और साहसिक यात्रा करने वालों के
लिए भी यह स्थान बेहतर है।
कल्पेश्वर- पंचम केदार के रूप
में विख्यात कल्पेश्वर मंदिर में भगवान शिव की जटाओं के दर्शन होते हैं। यह
मंदिर जोशीमठ ब्लॉक की उर्गम घाटी में स्थित है। यहां पहुंचने के लिये
बदरीनाथ हाईवे के हेलंग पड़ाव से 14 किलोमीटर की यात्रा वाहन से करनी पड़ती
है। यह मंदिर वर्षभर श्रद्धालुओं के दर्शनों के लिए खुला रहता है।