चंडीगढ़। हरियाणा में विपक्षी दलों के गठबंधन आईएनडीआईए के तहत चुनाव लड़ने के लिए दबाव बनाने वाली समाजवादी पार्टी अब हरियाणा में विधानसभा चुनाव नहीं लड़ेगी।
कई दिनों की उठापटक के बाद शुक्रवार को समाजवादी पार्टी मुखिया अखिलेश यादव ने ट्वीट करके सीटों के दावे पर असमंजस को खत्म कर दिया।
अखिलेश यादव ने ट्वीट करके कहा कि हरियाणा चुनाव में ‘आईएनडीआईए’ की एकजुटता नया इतिहास लिखने में सक्षम है। हमने कई बार कहा है और एक बार फिर दोहरा रहे हैं व आगे भी दोहरायेंगे कि ‘बात सीट की नहीं जीत की है’। हरियाणा के विकास व सौहार्द की विरोधी ‘भाजपा की नकारात्मक, साम्प्रदायिक, विभाजनकारी राजनीति’ को हराने में ‘इंडिया एलायंस’ की जो भी पार्टी सक्षम होगी, हम उसके साथ अपने संगठन और समर्थकों की शक्ति को जोड़ देंगे।
बात दो-चार सीटों पर प्रत्याशी उतारने की नहीं है, बात तो जनता के दुख-दर्द को समझते हुए उनको भाजपा की जोड़-तोड़ की भ्रष्टाचारी सियासत से मुक्ति दिलाने की है, साथ ही हरियाणा के सच्चे विकास और जनता के कल्याण की है। पिछले 10 सालों में भाजपा ने हरियाणा के विकास को बीसों साल पीछे ढकेल दिया है।
उन्होंने कहा कि हम मानते हैं कि हमारे या एलायंस के किसी भी दल के लिए, ये समय अपनी राजनीतिक संभावना तलाशने का नहीं है बल्कि त्याग और बलिदान का है। जनहित के परमार्थ मार्ग पर स्वार्थ के लिए कोई जगह नहीं होती। कुटिल और स्वार्थी लोग कभी भी इतिहास में अपना नाम दर्ज नहीं करा सकते हैं।
ऐसे लोगों की राजनीति को हराने के लिए ये क्षण, अपने से ऊपर उठने का ऐतिहासिक अवसर है। हम हरियाणा के हित के लिए बड़े दिल से, हर त्याग-परित्याग के लिए तैयार हैं। अखिलेश के इस ट्वीट के बाद साफ हो गया है कि समाजवादी पार्टी हरियाणा में सीधे चुनाव लडऩे की बजाए गठबंधन के तहत कांग्रेस की मदद करेगी।
उल्लेखनीय है कि अखिलेश यादव हरियाणा विधानसभा के चुनाव में पिछले कई दिनों से कांग्रेस पर सीट देने के लिए दबाव बनाए हुए थे। शुरूआती दौरे में अखिलेश यादव ने विपक्ष के गठबंधन आईएनडीआईए के तहत यादव तथा मुस्लिम बाहुल्य छह सीटों पर दावा किया लेकिन अंतिम बैठक में यह दावा दो सीटों पर सिमट गया। कांग्रेस हाईकमान के साथ हुई बैठक में समाजवादी पार्टी को हरियाणा में दो सीटें देने के संकेत दिए गए। कांग्रेस हाईकमान से अलग नेता प्रतिपक्ष भूपेंद्र सिंह हुड्डा पहले दिन से ही सपा को सीट देने के हक में नहीं थे। हरियाणा में कांग्रेस के नेता सपा को सीट देने के लिए एकमत नहीं थे।