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मशहूर मूर्तिकार राम सुतार का निधन, सीएम फडणवीस का अनुरोध- राजकीय सम्मान के साथ हो अंतिम संस्कार


मुंबई। दुनिया की सबसे ऊंची प्रतिमा स्‍टैच्‍यू ऑफ यूनिटी बनाने वाले मशहूर मूर्तिकार राम सुतार का लंबी बीमारी के बाद बुधवार देर रात निधन हो गया। मूर्तिकार के निधन के बाद महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह और यूपी के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ से बात कर राजकीय सम्मान के साथ अंतिम संस्कार किए जाने का अनुरोध किया।

 महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह और उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ से फोन पर अनुरोध किया था कि वरिष्ठ मूर्तिकार महाराष्ट्र भूषण राम सुतार के पार्थिव शरीर का राजकीय सम्मान के साथ अंतिम संस्कार किया जाए, जिसके बाद उत्तर प्रदेश सरकार ने इसे तुरंत स्वीकार कर लिया है। राम सुतार के पार्थिव शरीर का राजकीय सम्मान के साथ नोएडा में अंतिम संस्कार किया जाएगा। सीएम फडणवीस ने मूर्तिकार के बेटे को फोन कर अपनी संवेदनाएं जताते हुए उन्हें सांत्वना दी।

 सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म 'एक्स' पर एक पोस्ट में सीएम फडणवीस ने लिखा, "वरिष्ठ मूर्तिकार महाराष्ट्र भूषण डॉ. राम सुतार के निधन की खबर बहुत दुखद है। मैंने उनके बेटे अनिल सुतार को फोन करके अपनी संवेदनाएं जताई हैं और उन्हें सांत्वना दी है। रामभाऊ के निधन से दुनिया भर में मशहूर और जीती-जागती मूर्तियां बनाने वाले कलाकार का निधन हो गया है। 

बहुत ध्यान से की गई कारीगरी और उसमें जीवंतता उनकी कला की पहचान थी।" उन्होंने आगे लिखा कि कुछ दिन पहले, हम नई दिल्ली में उनके घर पर 'महाराष्ट्र भूषण' अवॉर्ड देने गए थे और अवॉर्ड लेते समय, जब उन्होंने 'महाराष्ट्र माझा' गाने की लाइनें सुनाईं, तो मैं अभिभूत हो गया। उन्होंने कई मूर्तियों को आकार दिया, चाहे वह स्टैच्यू ऑफ यूनिटी में सरदार वल्लभभाई पटेल की मूर्ति हो या अंडमान में वीर सावरकर की मूर्ति। 100 साल की उम्र में भी वे इंदु मिल में भारत रत्न डॉ. बाबासाहेब अंबेडकर के स्मारक के काम में शामिल थे। 

 फडवीस ने आगे लिखा कि संसद भवन परिसर में भी उनकी बनाई कई मूर्तियां हैं। हमारे आदर्श छत्रपति शिवाजी महाराज, भारत रत्न डॉ. बाबासाहेब अंबेडकर, महात्मा ज्योतिबा और सावित्रीबाई फुले जैसे महान विश्व प्रसिद्ध लोगों और हमारे वारकरी संतों की मूर्तियों को आकार देने का उन्होंने काम किया। इन मूर्तियों के जरिए, उनकी कला सदियों तक हमारी यादों में रहेगी और हम हर मूर्ति को देखते हुए उन्हें याद करेंगे। मैं उन्हें दिल से श्रद्धांजलि देता हूं। हम उनके परिवार के दुख में शामिल हैं। ओम शांति।

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