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तीनों सेनाओं और शिक्षाविदों के बीच तकनीकी सहयोग को बढ़ावा देने के लिए "त्रि-सेवा अकादमिक तकनीकी संगोष्ठी" का कर्टन रेज़र नई दिल्ली में आयोजित


तीनों सेनाओं और शिक्षाविदों के बीच तकनीकी सहयोग को बढ़ावा देने के लिए "त्रि-सेवा अकादमिक तकनीकी संगोष्ठी" का कर्टन रेज़र नई दिल्ली में आयोजित
📍 नई दिल्ली | 4 जुलाई 2025

भारतीय सेना ने आज दिल्ली स्थित मानेकशॉ सेंटर में आगामी त्रि-सेवा अकादमिक तकनीकी संगोष्ठी (Tri-Services Academia Technology Symposium) के लिए कर्टन रेज़र कार्यक्रम का आयोजन किया। इस आयोजन में भारतीय वायुसेना, नौसेना और इंटीग्रेटेड डिफेंस स्टाफ ने मिलकर भागीदारी की। संगोष्ठी का मुख्य आयोजन 22–23 सितंबर 2025 को प्रस्तावित है।

इस वर्ष संगोष्ठी की थीम "विवेक व अनुसंधान से विजय" रखी गई है, जिसका उद्देश्य सशस्त्र बलों और देश की शिक्षा संस्थाओं के बीच तकनीकी सहयोग को और मजबूत करना है। यह पहल भारत की आत्मनिर्भर रक्षा क्षमता को बढ़ावा देने की दिशा में एक अहम कदम मानी जा रही है।

इस संगोष्ठी का प्रमुख उद्देश्य सेनाओं और शैक्षणिक संस्थानों के बीच अनुसंधान एवं विकास (R&D) का एक साझा प्लेटफॉर्म तैयार करना है, ताकि सेना की विशेष तकनीकी ज़रूरतों को भारत में ही विकसित किया जा सके। इसके जरिए देश की प्रतिभाओं को राष्ट्रीय सुरक्षा के क्षेत्र में योगदान देने का अवसर मिलेगा।

कर्टन रेज़र कार्यक्रम के दौरान एक विशेष पोर्टल भी लॉन्च किया गया, जिसके माध्यम से देशभर के कॉलेज और यूनिवर्सिटी के प्रतिनिधि पंजीकरण कर सकेंगे। ये प्रतिनिधि या तो 'अटेंडी' के रूप में संगोष्ठी में भाग ले सकते हैं या फिर प्रोजेक्ट प्रस्ताव और मॉडल जमा कर सकते हैं। इस पोर्टल के माध्यम से छात्र और शिक्षाविद सेमिनारों और पैनल चर्चाओं में हिस्सा लेकर ज्ञान और अनुभव साझा कर सकेंगे।

जो प्रोजेक्ट और तकनीकी मॉडल जमा किए जाएंगे, उन्हें सेना के विषय विशेषज्ञों द्वारा समीक्षा की जाएगी। जो प्रस्ताव चुने जाएंगे, उन्हें संगोष्ठी में प्रदर्शनी के दौरान प्रदर्शित किया जाएगा और प्रत्यक्ष संवाद (one-on-one discussions) का अवसर मिलेगा। सबसे अच्छे और नवोन्मेषी विचारों को समापन समारोह में सम्मानित भी किया जाएगा।

यह संगोष्ठी न केवल शैक्षणिक शोध और रक्षा तकनीक के बीच की दूरी को कम करने की दिशा में एक महत्वपूर्ण प्रयास है, बल्कि यह सशस्त्र सेनाओं की इस प्रतिबद्धता को भी दर्शाती है कि वे स्वदेशी तकनीकी नवाचार को बढ़ावा देने के लिए पूरी तरह समर्पित हैं।

"विवेक, विज्ञान और विकास के माध्यम से विजय" की यह पहल न केवल देश की सुरक्षा को नई दिशा देगी, बल्कि आत्मनिर्भर भारत के सपने को साकार करने में शिक्षा और रक्षा के बीच सेतु का कार्य करेगी।

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