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मजदूरों का उग्र प्रदर्शन, मेघाहातुबुरु प्रबंधन को दी आंदोलन की चेतावनी


पश्चिमी सिंहभूम। पश्चिमी सिंहभूम जिले के मेघाहातुबुरु में बुधवार को झारखण्ड मजदूर संघर्ष संघ की स्थानीय इकाई ने जेनरल ऑफिस के समक्ष जोरदार प्रदर्शन कर प्रबंधन के खिलाफ मोर्चा खोल दिया।

महासचिव अफताब आलम के नेतृत्व में बड़ी संख्या में जुटे मजदूरों ने गगनभेदी नारों के साथ प्रशासन और प्रबंधन को साफ संदेश दिया कि स्थानीय मजदूरों के अधिकारों की अनदेखी अब बर्दाश्त नहीं की जाएगी। प्रदर्शन के दौरान माहौल काफी तनावपूर्ण रहा, जिससे कुछ देर के लिए प्रशासनिक महकमे में हड़कंप की स्थिति बन गई।

प्रदर्शनकारियों ने मुख्य महाप्रबंधक, मेघाहातुबुरु को अपनी मांगों से संबंधित ज्ञापन सौंपते हुए चेतावनी दी कि यदि जल्द ठोस कार्रवाई नहीं हुई तो आंदोलन को और व्यापक रूप दिया जाएगा। यूनियन का आरोप है कि खदानों में बाहरी लोगों की लगातार भर्ती कर स्थानीय युवाओं के हक को छीना जा रहा है। नेताओं ने कहा कि जब क्षेत्र के युवा बेरोजगारी से जूझ रहे हैं, तब बाहर से लोगों को नौकरी देना अन्यायपूर्ण है। उन्होंने पूर्व की भर्ती प्रक्रिया पर भी सवाल उठाते हुए मांग की कि आगामी भर्तियों में कर्मचारी आश्रितों और स्थानीयों को प्राथमिकता देते हुए कम से कम 70 प्रतिशत आरक्षण सुनिश्चित किया जाए तथा लगभग एक हजार रिक्त पदों को अविलंब भरा जाए।

इसके साथ ही मजदूरों ने क्षेत्रीय अस्पताल की बदहाल स्थिति को भी आंदोलन का अहम मुद्दा बनाया।

यूनियन ने आरोप लगाया कि केबीआर-एमबीआर अस्पताल, जिसे रेफरल अस्पताल कहा जाता है, वहां एक भी विशेषज्ञ चिकित्सक उपलब्ध नहीं है। मजदूर नेताओं ने इसे श्रमिकों की जान से खिलवाड़ बताते हुए सर्जन, स्त्री रोग विशेषज्ञ, मूत्र रोग विशेषज्ञ, हड्डी रोग विशेषज्ञ, ईएनटी सहित सभी आवश्यक विशेषज्ञ डॉक्टरों की तत्काल नियुक्ति की मांग की।

महासचिव अफताब आलम ने दो टूक शब्दों में कहा कि यूनियन की सभी मांगें जायज और क्षेत्रीय हित से जुड़ी हुई हैं। यदि प्रबंधन ने शीघ्र सकारात्मक कदम नहीं उठाए तो सड़क से लेकर कार्यालय तक ऐसा आंदोलन किया जाएगा कि पूरा तंत्र जवाब देने को मजबूर हो जाएगा।

इस प्रदर्शन में दयानंद कुमार, अफताब आलम, कामता प्रसाद, सोमा नाग, कुलदीप सिंह, शैलेश बारी, कमल कुमार रजक सहित कई वरिष्ठ श्रमिक नेता और बड़ी संख्या में मजदूर मौजूद रहे।

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