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मुआवज़ा भी राजनीतिक फायदा देखकर देती है राज्य सरकार: बाबूलाल मरांडी


रांची। झारखंड में भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के प्रदेश अध्यक्ष और विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष बाबूलाल मरांडी ने राज्य की हेमंत सोरेन सरकार पर तीखा हमला बोला है। उन्होंने आरोप लगाया कि झारखंड सरकार अब आपदा और पीड़ा को देखकर नहीं, बल्कि राजनीतिक फायदे को ध्यान में रखकर मुआवज़ा तय करती है।

सोमवार को सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर अपनी प्रतिक्रिया देते हुए मरांडी ने कहा कि यह बेहद दुखद है कि झारखंड में मुआवज़ा कष्ट और आपदा के आधार पर नहीं, बल्कि राजनीतिक लाभ को देखकर दिया जा रहा है। इसी वजह से कड़ाके की ठंड में बेघर हुए परिवारों की ओर सरकार की नजर तक नहीं जाती।

उन्होंने राजेंद्र आयुर्विज्ञान संस्थान (रिम्स) की जमीन से अतिक्रमण हटाने के मामले का जिक्र करते हुए कहा कि जिन लोगों के घर तोड़े गए, उनकी पीड़ा पूरे समाज को दिखी, लेकिन सरकार को नहीं। मरांडी ने आरोप लगाया कि प्रभावित परिवारों को मुआवज़ा देना तो दूर, उन्हें सांत्वना देने भी कोई सरकारी प्रतिनिधि नहीं पहुंचा।

नेता प्रतिपक्ष ने कहा कि जिस तरह से राज्य सरकार काम कर रही है, उससे ऐसा प्रतीत होता है कि पूरा शासन-प्रशासन उच्च न्यायालय के भरोसे ही चल रहा है। उन्होंने कहा कि छोटे से लेकर बड़े हर मामले में लोगों को न्याय के लिए अदालत का दरवाजा खटखटाना पड़ता है। यहां तक कि उच्च न्यायालय के आदेशों को भी सरकार जितना संभव हो, टालने का प्रयास करती है।

मरांडी ने कहा कि चाहे पेसा कानून का मामला हो या रिम्स अतिक्रमण प्रकरण, हेमंत सोरेन सरकार की संवेदनहीनता के कारण लोगों को राहत पाने के लिए अदालत की शरण लेनी पड़ रही है। उन्होंने आरोप लगाया कि सरकारी अधिकारियों के भ्रष्टाचार और मिलीभगत की सजा उन लोगों को मिल रही है, जिनके आशियाने उजड़ गए हैं।

बाबूलाल मरांडी ने इस मामले में झारखंड उच्च न्यायालय के फैसले का स्वागत करते हुए कहा कि न्यायालय के निर्देशानुसार तत्कालीन अंचल अधिकारी, नक्शा स्वीकृत करने वाले अधिकारी, रांची नगर निगम के बिल्डिंग प्लान अप्रूवल सेक्शन के अधिकारी, निगरानी और नियंत्रण में विफल रहे सभी जिम्मेदार सरकारी कर्मचारी, बिल्डर और प्रॉपर्टी डीलरों पर सख्त कार्रवाई होनी चाहिए। उन्होंने यह भी कहा कि मुआवज़े के लिए लगाया जाने वाला जुर्माना भी संबंधित बिल्डरों और दोषी अधिकारियों से ही वसूला जाना चाहिए।

अंत में नेता प्रतिपक्ष ने कहा कि उन्हें राज्य सरकार से किसी सहयोग की उम्मीद नहीं है, लेकिन कम से कम इतनी अपेक्षा जरूर है कि जांच और कार्रवाई की प्रक्रिया में सरकार कोई अड़चन न डाले, ताकि पीड़ितों को न्याय मिल सके।

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