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सिरसा के संग्राम में भाजपा से कूदे तंवर को फिजा बदलने की आस


सिरसा । हरियाणा की सबसे हॉट लोकसभा सीट में से एक सिरसा से भारतीय जनता पार्टी के उम्मीदवार डॉ. अशोक तंवर के भारतीय जनता पार्टी में आने से दलितों के एक मुश्त वोट पार्टी को मिलने की संभावना है। डॉ. अशोक तंवर सिरसा और इसके आसपास के जिलों में अच्छी पकड़ रखते हैं। वह पहले भी सिरसा से चुनाव जीत चुके हैं। अनुसूचित जाति की आबादी के मामले में हरियाणा भारत का पांचवां सबसे ज्यादा दलित जनसंख्या वाला राज्य है।



हरियाणा में अनुसूचित जाति की कुल आबादी 40.91 लाख है, जो राज्य की आबादी का 19.35 प्रतिशत है। हाल ही में डॉ. अशोक तंवर तब चर्चा में आए, जब उन्होंने अचानक आम आदमी पार्टी से इस्तीफा देकर भारतीय जनता पार्टी का हाथ थाम लिया। वह हरियाणा में आम आदमी पार्टी के साथ पिछले कुछ सालों से जुड़े थे। इससे पहले तंवर कांग्रेस में थे। कुछ समय के लिए वह तृणमूल कांग्रेस में भी रहे। भाजपा में आने के बारे में अशोक तंवर कहते हैं कि वह प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी से खासे प्रभावित हैं। वह इसलिए कि प्रधानमंत्री जो गारंटी देते हैं, उसे वह हर हाल में पूरा करते हैं।



अशोक तंवर का कहना है कि जो लोग बाबा साहेब की केवल फोटो लगाते हैं, वहीं, संविधान पर भरोसा नहीं करते, जबकि प्रधानमंत्री मोदी हमेशा संविधान के प्रति नतमस्तक रहते हैं। जो लोग संविधान को जेब में रखकर उसका अनादर करते हैं, ऐसे लोगों को लोकसभा चुनाव में जनता सबक सिखाएगी। वह कहते हैं कि दलितों का भरोसा भाजपा और प्रधानमंत्री के प्रति पहले से कहीं ज्यादा बढ़ा है।



कांग्रेस से कुमारी सैलजा एक बार फिर से सिरसा से उम्मीदवार हैं। जजपा ने भी रमेश खटक और इनेलो ने युवा संदीप लोट को यहां से उतारा है। बसपा से लीलूराम आसाखेड़ा चुनाव मैदान में हैं। कुमारी सैलजा साल सिरसा से दो बार चुनाव जीत चुकी हैं। बाद में सैलजा ने सिरसा से दूरी बना ली और अंबाला को चुना। सिरसा में उन्होंने कभी अपना वोट भी नहीं बनवाया और घर भी हिसार में ही रखा। डॉ. अशोक तंवर 2009 में सिरसा से पहली बार सांसद बने। इसके बाद उन्होंने सिरसा के हुडा सेक्टर में अपना घर बना लिया। वह 15 साल लगातार सिरसा में जमे हुए हैं।

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