नई दिल्ली। दिल्ली के पटियाला हाउस कोर्ट ने जम्मू-कश्मीर टेरर फंडिंग मामले के आरोपित बारामूला के सांसद रशीद इंजीनियर की नियमित जमानत याचिका पर फैसला फिर टाल दिया। एडिशनल सेशंस जज चंदर जीत सिंह ने याचिका पर अब कल (21 नवंबर) फैसला सुनाने का आदेश दिया। 21 नवंबर को ही कोर्ट इस बात पर भी फैसला सुनाएगा कि इस मामले को एमपी-एमएलए कोर्ट में ट्रांसफर किया जाए या नहीं।
उल्लेखनीय है कि 19 नवंबर को कोर्ट ने याचिका पर फैसला आज के लिए टाला था। उससे पहले 28 अक्टूबर को जमानत याचिका पर फैसला टाला गया था। रशीद इंजीनियर ने 28 अक्टूबर को तिहाड़ जेल में सरेंडर किया था। 10 सितंबर को पटियाला हाउस कोर्ट ने रशीद इंजीनियर को जम्मू-कश्मीर में चुनाव प्रचार में हिस्सा लेने के लिए दो अक्टूबर तक अंतरिम जमानत दी थी। उसके बाद कोर्ट ने रशीद इंजीनियर की दो बार अंतरिम जमानत बढ़ाई। रशीद इंजीनियर ने लोकसभा चुनाव 2024 में जम्मू-कश्मीर के पूर्व मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला को करीब एक लाख मतों से हराकर जीत हासिल की है। रशीद इंजीनियर को 2016 में एनआईए ने गिरफ्तार किया था।
पटियाला हाउस कोर्ट ने 16 मार्च 2022 को ने हाफिज सईद , सैयद सलाहुद्दीन, यासिन मलिक, शब्बीर शाह और मसरत आलम, रशीद इंजीनियर, जहूर अहमद वताली, बिट्टा कराटे, आफताब अहमद शाह, अवतार अहम शाह, नईम खान, बशीर अहमद बट्ट ऊर्फ पीर सैफुल्ला समेत दूसरे आरोपियों के खिलाफ आरोप तय करने का आदेश दिया था। एनआईए के मुताबिक पाकिस्तान की खुफिया एजेंसी आईएसआई के सहयोग से लश्कर-ए-तैयबा, हिजबुल मुजाहिद्दीन, जेकेएलएफ, जैश-ए-मोहम्मद जैसे संगठनों ने जम्मू-कश्मीर में आम नागरिकों और सुरक्षा बलों पर हमले और हिंसा को अंजाम दिया। 1993 में अलगाववादी गतिविधियों को अंजाम देने के लिए ऑल पार्टी हुर्रियत कांफ्रेंस की स्थापना की गई।
एनआईए के मुताबिक हाफिज सईद ने हुर्रियत कांफ्रेंस के नेताओं के साथ मिलकर हवाला और दूसरे चैनलों के जरिये आतंकी गतिविधियों को अंजाम देने के लिए धन का लेन-देन किया। इस धन का उपयोग वे घाटी में अशांति फैलाने, सुरक्षा बलों पर हमला करने, स्कूलों को जलाने और सार्वजनिक संपत्ति को नुकसान पहुंचाने का काम किया। इसकी सूचना गृह मंत्रालय को मिलने के बाद एनआईए ने भारतीय दंड संहिता की धारा 120बी, 121, 121ए और यूएपीए की धारा 13, 16, 17, 18, 20, 38, 39 और 40 के तहत केस दर्ज किया था।